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Culpable Homicide: उत्तर प्रदेश के बलिया कोर्ट ने गैर इरादतन हत्या के 8 दोषियों को सुनाई 10-10 साल की कैद

गैर-इरादतन हत्या यानी कल्पिबल होमिसाइड के मामले में उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने आठ दोषियों को दस-दस साल की जेल की सजा सुनाई है; मामला 14 साल पुराना था। विस्तार से समझिए कि गैर-इरादतन हत्या क्या होती है..

Culpable Homicide Case

Written by Ananya Srivastava |Updated : July 27, 2023 2:32 PM IST

बलिया (उप्र): गैर इरादतन हत्या के 14 साल पुराने मामले में उत्तर प्रदेश के बलिया की एक अदालत ने आठ लोगों को दोषी करार देते हुए उन्हें 10-10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। ज़िले के अपर सत्र न्यायाधीश हुसैन अहमद अंसारी की अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद बुधवार को सजा सुनाई।

न्यूज़ एजेंसी भाषा के अनुसार, अदालत ने आरोपी प्रवीण राम, शिवजी, सुदर्शन, रामदेव, मनजी, शंकर, अमरनाथ और हरिशंकर को दोषी करार देते हुए 10-10 साल के सश्रम कारावास और 20-20 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।

बृहस्पतिवार को पुलिस अधीक्षक एस आनंद ने भाषा को बताया कि जिले के सहतवार थाना क्षेत्र में नौ अक्टूबर 2009 को नाली की खुदाई को लेकर हुए विवाद में चंद्रिका नामक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में आठ लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया।

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गौरतलब है की अदालत ने आरोपियों के विरुद्ध गैर इरादतन हत्या के मामलें में सजा सुनाई है तो समझते हैं कि गैर इरादतन हत्या के मामले कब बनाते है और कानून में किस तरह ही सजा का प्रावधान है.

गैर इरादतन हत्या

आपको बता दे कि गैर इरादतन हत्या किसी मानवीय कृत्य के करने या चूकने के कारण हुई मौत के रूप में भारतीय दंड संहिता 1872 की धारा 299 के तहत परिभाषित किया गया है.

इसके अनुसार, ‘कोई भी व्यक्ति किसी को मारने के इरादे से एक कार्य करता है, और वो कार्य उसकी मौत का कारण बनता है, या मारने के इरादे से ऐसी शारीरिक चोट पहुंचाता है. जिससे उसकी मौत होने की संभावना है, या इस ज्ञान के साथ कार्य करता है की इस कार्य से उसकी मौत होने की संभावना है, तो वह कल्पेबल होमीसाइड का अपराध करता है.’

गैर इरादतन हत्या की सजा

गैर इरादतन हत्या के लिए आजीवन कारावास से लेकर कारावास की अवधि तक की सजा हो सकती है जिसे जुर्माना लगाने के साथ दस साल तक बढ़ाया जा सकता है.

IPC की धारा 304 में सजा का प्रावघान है, जिसके अंतर्गत आजीवन कारावास की भी सजा दी जा सकती है या उस व्यक्ति को किसी एक अवधि के लिए की सजा होगी जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है, साथ ही आर्थिक दंड भी दिया जा सकता है. यह अपराध समझौते योग्य नहीं हैं, और एक गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आता है.