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Voters को लुभाने की करप्ट प्रैक्टिस, रिश्वत ही दे रही सभी पॉलिटिकल पार्टीज, Freebies के खिलाफ रिटायर्ड जज पहुंचे Delhi HC

दिल्ली HC के जज रह चुके जस्टिस ढींगरा ने याचिका में कहा है कि AAP जहाँंमहिला वोटरों को लुभाने के लिए 'मुख्यमंत्री महिला सम्मान' योजना के तहत 2100 रुपये प्रति महीना देने का वायदा कर रही है, वही उसकी ही तर्ज पर BJP 'महिला समृद्धि योजना' के नाम पर और कांग्रेस 'प्यारी दीदी योजना' के नाम पर 2500 प्रति महीना देने का वायदा कर रही है

नेताजी वोटर्स को फ्रीबीज देने का दावा करते (सांकेतिक चित्र)

Written by Satyam Kumar |Published : February 2, 2025 11:33 AM IST

दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP, BJP और कांग्रेस की ओर से किये जा रहे मुफ्त सुविधाओं के वायदे के खिला जस्टिस (रिटायर्ड) एन एन ढींगरा ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. दिल्ली HC के जज रह चुके जस्टिस ढींगरा ने याचिका में कहा है कि AAP जहाँंमहिला वोटरों को लुभाने के लिए 'मुख्यमंत्री महिला सम्मान' योजना के तहत 2100 रुपये प्रति महीना देने का वायदा कर रही है, वही उसकी ही तर्ज पर BJP 'महिला समृद्धि योजना' के नाम पर और कांग्रेस 'प्यारी दीदी योजना' के नाम पर 2500 प्रति महीना देने का वायदा कर रही है. याचिका के मुताबिक मुफ्त सुविधा देने की एवज में दिल्ली में वोटरों को निजी डेटा इकट्ठा किया जा रहा है.

Freebies देकर लुभाना 'करप्ट प्रैक्टिस'

जस्टिस ढींगरा का कहना है कि तीनो राजनीतिक दलों की ओर से की जा रही ये घोषणाएं जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत सीधे सीधे 'करप्ट प्रैक्टिस' के दायरे में आती है क्योंकि यहाँ रिश्वत का चुनावी वायदा कर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की जा रही है.

जस्टिस एस एन ढींगरा ने दिल्ली HC में दायर याचिका में मांग की है:

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  • कोर्ट चुनाव आयोग को निर्देश दे कि वो दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP, BJP और कांग्रेस के मतदाताओं को लुभाने के भ्रष्ट आचरण की जांच करें,
  • राजनीतिक दलों की ओर से मतदाताओं के निजी डेटा की जानकारी जुटाने से रोका जाए। उन्हें निर्देश दिया जाए कि चुनाव के दौरान इकट्ठा किए इस डेटा को किसी तीसरे पक्ष को शेयर न करें।उसका इस्तेमाल न करें,
  • पार्टियों की ओर से इस तरह कैश देकर वोट पाने की इन स्कीम को असंवैधानिक घोषित किया जाए,
  • कोर्ट आयोग को निर्देश दे कि वो दिल्ली में स्वतंत्र, निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने और चुनाव नियमो की अनदेखी को रोकने के लिए अपनी व्यवस्था को और मजबूत करें। जो दोषी पाएं जाए,उनके खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता के तहत उपयुक्त कार्रवाई करे.

रिटायर्ड जस्टिस ने Freebies को करप्ट प्रैक्टिस बताते हुए इस पर रोक लगाते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की है.

(खबर एजेंसी इनपुट से है)