नई दिल्ली: अदालत की अवमानना के मामले में फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री को Delhi High Court ने आगामी 10 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का आदेश दयिा है.
दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज और वर्तमान में Orrisa High Court के Chief Justice S Murlidhar के खिलाफ किए गए ट्वीट को लेकर स्वप्रेणा प्रसंज्ञान से दायर अवमानना याचिका में ये आदेश दिए गए है.
फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री के ओर से अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि अग्निहोत्री बुखार से पीड़ित हैं, जिसके चलते अदालत के समक्ष उपस्थित होने में सक्षम नहीं है.जिसके बाद अग्निहोत्री वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कार्यवाही में शामिल हुए हैं.
जस्टिस जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस तलवंत सिंह पीठ ने अग्रिहोत्री के अनुरोध को अस्वीकार करते हुए कहा कि इस मामले में उन्हे व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होना होगा.
पीठ ने उनके अधिवक्ता से कहा कि "वह यहां कब आने वाले हैं? वह नहीं आ सकते तो आप हमें अपनी पसंद की तारीख बता दे.
अग्रिहोत्री से चर्चा करने के बाद अधिवक्ता द्वारा 10 अप्रैल की सहमति देने पर पीठ ने अग्रिहोत्री को आगामी 10 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए.
वर्ष 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहते जस्टिस एस मुरलीधर ने बहुचर्चित भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपी और एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को राहत देते हुए जमानत दी थी. जस्टिस मुरलीधर ने गौतम नवलखा की हाउस अरेस्ट और ट्रांजिट रिमांड को कैंसिल कर दिया था.
नवलखा को राहत दक्षिणपंथी वर्ग ने Justice S Murlidhar की जमकर आलोचना की थी. इसी को विवेक अग्निहोत्री ने भी सोशलमीडिया पर जस्टिस एस मुरलीधर के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी की थी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में विवेक अग्निहोत्री सहित राइटर आनंद रंगनाथन और न्यूज पोर्टल स्वराज्य के खिलाफ स्वप्रेणा प्रंसज्ञान लेते हुए अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी.
6 दिसंबर 2022 को इस मामले में विवेक अग्निहोत्री ने हलफनामा दायर करते हुए बिना शर्त माफी मांगी थी, अदालत ने इस पर उन्हे व्यक्तिगत रूप से पेश होकर माफी मांगने के लिए कहा था.
अब अदालत ने एक बार फिर अग्निहोत्री को 10 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर माफी मांगने के आदेश दिए है.
इस मामले में Contempt of Court के दूसरे आरोपी Scientist आनंद रंगनाथन ने माफी मांगने से इंकार कर दिया है. एमिकस क्यूरी सीनियर एडवोकेट अरविंद निगम ने अदालत को जानकारी देते हुए बताया कि रंगनाथन ने ट्वीट किया है कि वह अपने ट्वीट के लिए कभी माफी नहीं मांगेंगे.
एडवोकेट निगम ने जब अदालत को बताया कि रंगनाथन ने अपने ट्वीट में लिखा है कि वह वह कभी माफी नहीं मांगेंगे और लड़ते हुए हार जाएंगे.
इस पर जस्टिस मृदल ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आखिर वे लड़ना क्यों चाहते है, यह गृहयुद्ध नहीं है?"