हाल ही में शराब पीकर गाड़ी चलाने के विवाद में एक दिलचस्प वाक्या सामने आया है. सड़क दुर्घटना के इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने कहा, दिन में शराब पीना अपराध नहीं है. साथ ही वाहन दुर्घटना के मामलों में गाड़ी चालक के ब्लड में मौजूद एल्कोहल की मात्रा की जांच करने के निर्देश दिए है. बिना शराब की मात्रा जांच किए जाने बिना व्यक्ति को दोषी साबित नहीं किया जा सकता है. बता दें कि मद्रास हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटना के मामले में एक व्यक्ति के मुआवजे की राशि MACT द्वारा आधी करने के फैसले को खारिज किया. साथ ही इंश्योरेंस कंपनी को मुआवजे की पूरी राशि (करीब 3 लाख रूपये) देने के आदेश दिए हैं.
विवाद 2016 के एक सड़क दुर्घटना से जुड़ा है जिसमें याचिकाकर्ता रमेश घायल हुआ. रमेश ने इंश्योरेंस कंपनी से मुआवजे की मांग की. पेरम्बुल के मोटर एक्सीडेंट क्लेमस ट्रिब्यूनल (MACT) ने याचिकाकर्ता रमेश को सड़क दुर्घटना के मामले में तीन लाख रूपये देने के निर्देश दिए. आदेश में ट्रिब्यूनल ने व्यक्ति द्वारा शराब पीकर वाहन चलाने के अंदेशो को लेकर मुआवजे की आधी राशि को घटाकर देने को कहा. इंश्योरेंस कंपनी ने अदालत को बताया कि दुर्घटना के बाद रमेश की जांच करने वाले डॉक्टर ने रमेश के मुंह से शराब की गंध आने की बात कहीं. ट्रिब्यूनल ने इस बात को संज्ञान में लेते हुए मिलने वाले मुआवजे की राशि आधी कर दी. मद्रास हाईकोर्ट में मुआवजे की राशि आधी करने के फैसले को चुनौती दी गई.
मद्रास हाईकोर्ट में जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने इस मामले की सुनवाई की. जस्टिस ने डॉक्टर द्वारा ब्लड में अल्कोहल की मात्रा जांच नहीं करने से नाराजगी जताई. केवल आशंका के आधार पर हम फैसला नहीं फैसला नहीं दे सकते हैं. बेंच ने याचिकाकर्ता को मुआवजे की पूरी राशि देने के आदेश दिए हैं.
बेंच ने कहा,
"व्यक्ति शराब का सेवन करना कोई अपराध नहीं है. वास्तव में, राज्य ही अपने द्वारा संचालित आईएमएफएल (IMFL) दुकानों के माध्यम से नागरिकों को शराब प्रदान करता है. साथ ही यह राज्य की एकमात्र जिम्मेदारी है कि वह शराब के सेवन से उत्पन्न होने वाले परिणामों की जिम्मेदारी लें."
बेंच ने आगे कहा,
"ये देखना बहुत महत्वपूर्ण होगा कि शराब के सेवन से गाड़ी चालकों की क्षमता पर कितना प्रभावित कर रही है."
बेंच ने तमिलनाडु राज्य की ट्रैफिक व्यवस्था पर भी प्रतिक्रिया दी. राज्य ने स्पष्ट किया, राज्य में जाम की समस्या इतनी ज्यादा है कि दो गाड़ियों के बीच में एक निश्चित बनाए रखना मुश्किल हैं. साथ ही ऐसे मामलों की सुनवाई के दौरान असल परिस्थितियों पर भी विचार करना चाहिए.
अदालत ने तमिलनाडु राज्य को निर्देश देते हुए कहा. राज्य के मुख्य सचिव सभी निजी अस्पतालों एवं डॉक्टरों को गाइडलाइन जारी करें, जिसमें सड़क दुर्घटना में आए मरीजों के एल्कोहल की जांच कराने के आदेश हो.