सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ अपने सहकर्मी अनिरूद्ध बोस के विदाई समारोह के दौरान भावुक हो गए. सीजेआई ने कहा, यह क्षण जस्टिस के रिटायरमेंट के बाद होने वाले खालीपन को महसूस करने का है. साथियों के विदाई का समय हमेशा ही भावुक होता है. सीजेआई ने उक्त बातें अपने साथी, सुप्रीम कोर्ट जस्टिस अनिरूद्ध बोस की विदाई समारोह में कही. 9 अप्रैल, 2024 के दिन जस्टिस अनिरूद्ध बोस के सम्मान में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने विदाई समारोह का आयोजन किया था. सेवानिवृति के बाद जस्टिस अनिरूद्ध बोस राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल के निदेशक के रूप में अपनी सेवा देंगे. बता दें कि अनिरूद्ध बोस 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट जस्टिस के रूप में पदोन्नत हुए थे.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने जस्टिस अनिरूद्ध बोस को शुभकामनाएं दी. उनके कार्यों को याद किया. सीजेआई ने कहा, जस्टिस अनिरूद्ध बोस का स्वभाव एक सच्चे श्रोता एवं बुद्धिजीवी का है. अनिरूद्ध बोस, कलकत्ता उच्च न्यायालय में पदोन्नत होने से पहले एक बेहतरीन वकील भी रह चुके हैं. जस्टिस ने नई तकनीत युक्त न्यायपालिका की हमेशा से वकालत की है. उन्होंने न्यायपालिका की आधुनिकीकरण में अग्रणी भूमिका निभाई है.
इस दौरान सीजेआई ने एक पुराने किस्से को याद करते हुए बताया कि कैसे चिकित्सा लापरवाही से जुड़े मामले में जस्टिस अनिरूद्ध बोस ने अमेरिका के एक वादी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत के सामने पेश होने दिया.
जस्टिस ने अपने लिए आयोजित विदाई समारोह में अपने कार्यकाल के दिनों को याद किया. जस्टिस अनिरूद्ध बोस ने कहा, भारत का उच्चतम न्यायालय आधुनिक भारत का लघु रूप जैसा है. हमारा न्यायशास्त्र सबसे उन्नत है. भारत के कानूनी पेशे में भी बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं, बड़ी संख्या में महिलाएं भी इस पेशे में आ रही हैं.
जस्टिस अनिरूद्ध बोस का जन्म 11 अप्रैल, 1959 के दिन हुआ था. स्कूली शिक्षा कोलकाता में हुई, सेंट लॉरेंस स्कूल से शुरूआती शिक्षा प्राप्त की. जस्टिस ने सुरेन्द्रनाथ लॉ कॉलेज से एलएलबी की उपाधि ली. 1985 में कलकत्ता उच्च न्यायालय से अपनी वकालत शुरू की. जनवरी, 2004 में उन्हें कलकत्ता हाईकोर्ट में जज के रूप पदोन्नत किया गया. 11 अगस्त, 2018 में वे झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनें. वहीं साल, 2019 में वे सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में पदोन्नत हुए.