Chhattisgarh Liquor Scam: सोमवार (08 अप्रैल 2024) के दिन सुप्रीम कोर्ट से ईडी को बड़ा झटका लगा है. ईडी को यह झटका छत्तीसगढ़ शराब घोटाले मामले में लगी है. सुप्रीम कोर्ट ने शराब घोटाले में 2000 करोड़ रूपये की हेराफेरी के आरोप से इंकार करते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का मामला रद्द कर दिया हैं. बता दें कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले केस में ईडी ने आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टूटेजा और रायपुर मेयर के भाई अनवर ढेबर, करिश्मा ढेबर, अरूणपति ढेबर और सिद्धर्थ सिंघानिया पर पैसों की हेराफेरी करने का आरोप लगाया था. इन छह लोगों ने ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ईडी के आरोपों को चुनौती दी. सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद आईएएस एवं उनके बेटे को राहत मिली हैं. वहीं, इनमें से अनवर ढेबर अभी एसीबी-ईओडब्लू की रिमांड पर है.
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में ईडी ने 2000 करोड़ रूपये की हेराफेरी का आरोप लगाया था. ईडी के इन आरोपों को रिट पिटीशन के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. इन अलग-अलग याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई हुई.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एस ओका एवं जस्टिस उज्जल भुयन की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई की. बेंच ने कहा, ईसीआईआर और एफआईआर देखने से पता चलता है कि मामले में कोई विधेय अपराध नहीं हुआ है और ना कोई आय होने का पता चलता है, इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग का मामला नहीं बनता है.
कोर्ट ने हाल ही में दिए अपने फैसले को आधार बनाया, जिसमें कहा गया था कि आईपीसी के सेक्शन 120बी के मामलों में पीएमएलए तब तक नहीं लगाया जाए, जब तक कि उसमें पैसे की हेराफेरी का मामला न हो.
बेंच ने कहा,
"इस मामले में, प्रथम दृष्टया कोई अनुसूचित अपराध अस्तित्व में नहीं है, इसलिए अपराध की कार्यवाही नहीं की जा सकती. साथ ही कार्यवाही को पीएमएलए की धारा 3 के तहत भी कार्रवाई भी नहीं की जा सकती है.”
पीएमएलए की धारा 3 समूह का जिक्र करता है, जो पैसे की हेराफेरी में शामिल हैं.
विधेय अपराध, किसी बड़े अपराध का एक पार्ट/हिस्सा है. उदाहरण के तौर मनी लॉन्ड्रिंग जैसे बड़े अपराध आईपीसी की तहत किसी छोटे अपराध से जुड़े होते हैं. विधेय अपराध बड़ी अपराध की श्रृंखला में पहला या नींव अपराध है. जैसे मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में, कर चोरी के अवैध कार्य को ‘पूर्व निर्धारित अपराध’ माना जाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने 18 मार्च, 2024 के दिन हुए सुनवाई में भी जिक्र किया था कि ईडी की शिकायत में विधेय अपराध का जिक्र नहीं है. आज सुप्रीम कोर्ट ने इस शिकायत को आधार बनाते हुए ईडी की शिकायत को खारिज कर दिया है.