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UP में MBBS छात्रा की मौत मामले की जांच करेगी CBI, SC ने दिए आदेश

जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने इस मामले को अन्य मामलों से अलग मानते हुए की एक ही मामले में दो अलग अलग जांच एजेंसियों की अलग अलग रिपोर्ट है. इसे सीबीआई को सुपूर्द करने के लिए एक बेहतर केस पाया.

Written by Nizam Kantaliya |Published : January 27, 2023 5:25 AM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश के बरेली में अपने हॉस्टल में फांसी लगाने वाली छात्रा के मामले की जांच अब सीबीआई को सौप दी है. जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने इस मामले की सीबीआई द्वारा जांच पूरी होने पर संबंधित अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिया है.

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में 5 सितंबर, 2017 को 19 वर्षीय मेडिकल छात्रा ने अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी,बाद में उसके पिता ने 11 सितंबर, 2017 को अपनी बेटी की आत्महत्या को एक हत्या बताते हुए पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई थी.

अलग अलग जांच और रिपोर्ट

पिता की एफआईआर पर इस मामले में पुलिस ने जांच के बाद आईपीसी की धारा 306/201 के आरोप तय करते हुए चार्जशीट पेश की. इस मामले में पुलिस ने दो व्यक्तियों को आरोपी बनाया था.

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इसके बाद आपत्तियां पेश होने के बाद मामले की जांच को राज्य पुलिस की एक अन्य जांच शाखा  CBCID को सौंप दिया गया. CBCID ने आईपीसी की धारा 173(8) के तहत इस मामले को आत्महत्या मानते हुए अदालत में अंतिम रिपोर्ट/क्लोजर रिपोर्ट पेश की.

दो अलग अलग जांच एजेंसियों की अलग अलग रिपोर्ट आने पर मृतक छात्रा के पिता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रहा था. इसी दौरान CBCID द्वारा पेश की गई रिपोर्ट पर मजिस्ट्रेट अदालत ने 30 अक्टूबर, 2018 को संज्ञान लेते हुए मामला सत्र न्यायालय को सौंप दिया गया.

पिता ने दी चुनौती

मृतका के पिता की ओर से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अलग अलग जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए मामले की सीबीआई को ट्रांसफर करने का अनुरोध किया.

जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने इस मामले को अन्य मामलों से अलग मानते हुए की एक ही मामले में दो अलग अलग जांच एजेंसियों की अलग अलग रिपोर्ट है. इसे सीबीआई को सुपूर्द करने के लिए एक बेहतर केस पाया.

पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि इस मामले में दो जांच एजेंसियों दायर पेश की गई रिपोर्ट में विरोधाभास प्रतीत होता है. ऐसे में हमारी राय है कि आगे की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा की जानी चाहिए और दोनो जांच एजेंसियां इस संबंध में सीबीआई की सहायता करेंगी.

पीठ ने आदेश दिए कि सीबीआई द्वारा इस मामले की जांच के निष्कर्ष पर पहुंचने पर उचित अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश की जाएगी.

क्या था मामला

बरेली के श्री राम मूर्ति स्मारक आयुर्विज्ञान संस्थान में अध्ययनरत नोएडा की 19 वर्षिय छात्रा ने पंखे से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. पुलिस की जांच में उसके दो सहपाठियों ने बताया कि छात्रा दो दिन से तनाव में थी और बीमारी के कारण कॉलेज नहीं गई थी.

वही पिता ने यह कहते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी कि उनकी बेटी की मौत को आत्महत्या का मामला बनाया गया था, जबकि यह एक अप्राकृतिक मौत थी.