नई दिल्ली: साल 2014 में दिल्ली में एक 12 साल के बच्चे के अपहरण और हत्या के मामले में सात साल बाद भी खुलासा नही होने पर मृतक बच्चे के पिता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
पिता सतीशकुमार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वीआर सुब्रमण्यम और जस्टिस पंकज मिथल की पीठ ने सीबीआई और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
याचिकाकर्ता पिता ने दिल्ली हाईकोर्ट के 7 दिसंबर 2022 के उस आदेश को भी चुनोती दी है जिसमें हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौपने से इंकार कर दिया था.
अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के जरिए पिता की ओर से दायर याचिका मेें कहा गया कि इस मामले की जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से नहीं की गई है और हाईकोर्ट ने जांच सीबीआई को ट्रांसफर न करके गलती की है.
याचिका में कहा गया कि घटना के 7 साल बीत जाने के बाद भी संदिग्धों के खिलाफ महत्वपूर्ण सबूतों के बावजूद क्राइम ब्रांच संदिग्धों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं जुटा सकी है.
याचिका में कहा गया कि दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इस मामले की जांच सीबीआई को ट्रांसफर नहीं करते हुए गलती की है. इसलिए इस मामले को सीबीआई को सौपा जाए.
बहस सुनने के अदालत ने केंद्रीय जांच ब्यूरो, दिल्ली सरकार और क्राइम ब्रांच के डीसीपी को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिए है.
दिल्ली निवासी सतीशकुमार का 12 वर्षिय बेटा हेमंत 11 सितंबर, 2014 को अपने घर से लापता हो गया था. घटना के दूसरे दिन 12 सितंबर को इस मामले में पिता ने बवाला पुलिलस स्टेशन में अपहरण का मामला दर्ज कराया.
दो दिन बाद बच्चे का शव हरियाणा के बाद में हलालपुर गांव से बरामद किया गया.इस मामले में दिल्ली पुलिस ने दो व्यक्तियों सुनील और रंजित को उनके मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर गिरफ्तार किया, जहां शव पाया गया था.
जाचं के बाद पुलिस ने इस मामले में दोनों संदिग्धों को भी छोड़ दिया. जांच से असंतुष्ट पिता ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर दिल्ली हाईकेार्ट का दरवाजा खटखटाया.
दिल्ली हाईकोर्ट ने 7 दिसंबर 2022 के अपने आदेश में मामले को सीबीआई को सौपने से इंकार करते हुए मामले की जांच क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर करने का आदेश दिया.