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कानूनी कार्यवाही में कहीं प्रैग्नेंट महिला कैदी दोबारा ‘Victim’ ना बन जाएं, Calcutta High Court ने चेताया

कलकत्ता हाईकोर्ट ने केस से जुड़े अधिकारियों को कानूनी कार्यवाही में प्रेग्नेंट महिला कैदी दुबारा से पीड़ित नहीं बनें, इस बात ध्यान रखने के निर्देश दिए है.

Written by My Lord Team |Published : February 21, 2024 5:00 PM IST

कलकत्ता हाईकोर्ट(Calcutta High Court)  जेलों में बढ़ती प्रेग्नेंट महिला कैदियों की संख्या से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने मामले से जुड़े अधिकारियों को हिदायत दी. कोर्ट ने कहा, ये ध्यान रखें कि कानूनी कार्यवाही में ये महिलाएं दुबारा से पीड़ित (Victim)  नहीं बन जाएं. कार्यवाही (Legal Proceedings)  के दौरान कुछ ऐसा ना हो कि उनके मान- सम्मान को क्षति पहुंचे.

महिला कैदियों की पहचान छिपी रहें 

जस्टिस जॉयमाल्या बागची (Joymalya Bagchi) और गौरांग कंठ (Gaurang Kanth) की बेंच ने इस मामले को सुना. बेंच ने कहा कि हमें ध्यान देना चाहिए कि जेल में बंद इन महिलाओं को मान-सम्मान को दुबारा से कोई क्षति नहीं पहुंचें. 

कोर्ट ने कहा,

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"ये महिलाएं पहले ही पीड़ित है. सुधार गृह और जेलों में अपनी सजा काट रही है. केस से जुड़े सभी पार्टी यह ध्यान रखें कि किसी महिला कैदी की पहचान सार्वजनिक नहीं हो. उन्होंने पहले जो किया, उसकी सजा वे काट रही है. उनके साथ ऐसा व्यवहार हो कि वे दोबारा से समाज का हिस्सा बन पाएं."

Amicus Curie ने दी, ये जानकारी

अमिकस क्यूरी ने कलकत्ता हाईकोर्ट को जानकारी देते हुए बताया था कि बंगाल के सुधार गृह में बंद महिला कैदियों के प्रैग्नेंट होने की संख्या लगातार बढ़ रही है. कलकत्ता हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को संज्ञान में लिया था. सुप्रीम कोर्ट को अधिकारियों ने बताया कि जेल में आई महिला कैदी पहले से ही प्रेग्नेंट थी. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस शिवगणनम की बेंच ने इस मामले को सुना और बाद में, कलकत्ता हाईकोर्ट में जस्टिस बागची की अध्यक्षता वाली बेंच को ट्रांसफर कर दिया था. 

जस्टिस बागची ने कहा,

"आपने (अमिकस क्यूरी) बेहतर काम किया है. हम सम्मान करते हैं. लेकिन हम ये कहना चाहते हैं कि इस समस्या को निपटने में समझदारी दिखानी होगी."

बेंच ने आगे कहा,   आपने समस्या से अवगत कराया है. अब हम इस मामले की तह तक जांच करेंगें. कोर्ट ने राज्य से पूछा कि महिला सुधार गृह में कितने पुरूष अधिकारियों की तैनाती की गई है. 

जेलों की स्थिति पर Stakeholders  करें बैठक

इस पर, महाधिवक्ता(Advocate General)  किशोर दत्ता ने कोर्ट को बताया कि प्रेग्नेंट महिला कैदियों का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट के सामने लंबित है. इसलिए हाईकोर्ट ने जेलों से जुड़े अन्य विषयों पर रिपोर्ट मांगा है. हाईकोर्ट ने एडवोकेट जनरल दत्ता को राज्य में जेलों से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए एमिकस क्यूरी सहित सभी हितधारकों (Stakeholders) की एक बैठक बुलाने के निर्देश दिए.