कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल सरकार को कोलकाता में सरकारी आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया. घोष और उनके परिवार के सदस्यों पर भीड़ द्वारा हमला किए जाने की आशंका है.
आर.जी. कर की एक महिला जूनियर डॉक्टर के साथ इस महीने की शुरुआत में अस्पताल परिसर में बलात्कार और हत्या के बाद जांच के घेरे में आए घोष ने पुलिस सुरक्षा की मांग करते हुए न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की एकल पीठ से गुहार लगाई. उनकी अपील पर कार्रवाई करते हुए न्यायमूर्ति भारद्वाज ने राज्य प्रशासन को घोष और उनके परिवार के सदस्यों के लिए पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.
बुधवार को घोष के वकील ने अदालत में दलील दी कि उनके मुवक्किल और उनके परिवार के सदस्य अपनी सुरक्षा को लेकर असुरक्षित हैं और उन्हें सुरक्षा की जरूरत है - चाहे वह राज्य पुलिस से हो या केंद्रीय बलों से.
इसके बाद राज्य सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि कोलकाता के बेलियाघाटा में घोष के आवास के सामने पहले से ही पुलिस पिकेट तैनात कर दी गई है. बेलियाघाटा पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं. एकल न्यायाधीश की पीठ ने कहा कि पुलिस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सुरक्षा व्यवस्था में कोई चूक न हो. घोष पिछले छह दिनों से मामले के सिलसिले में पूछताछ के लिए कोलकाता के उत्तरी बाहरी इलाके में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के साल्ट लेक कार्यालय में पेश हो रहे थे. उनके खिलाफ विशेष रूप से चिकित्सा बिरादरी और आम जनता की ओर से शिकायतें मिली थीं कि उन्होंने 9 अगस्त को आर.जी. कार के कॉन्फ्रेंस रूम से पीड़ित डॉक्टर का शव बरामद होने के तुरंत बाद घटना को छिपाने की शुरुआती कोशिश की थी. 9 अगस्त को बलात्कार और हत्या की शिकार हुई पीड़िता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला है कि शव पर 14 चोटें थीं. अब तक इस मामले के सिलसिले में केवल एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है. पिछले सप्ताह कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्य स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया था कि अगले आदेश तक घोष को राज्य के किसी भी मेडिकल कॉलेज का प्रमुख नियुक्त न किया जाए.