Rape Case: कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने रेप (Rape) के एक मामले में कहा कि नाबालिग लड़कियों को दो मिनट के मजे की जगह अपनी यौन इच्छाओं पर कंट्रोल रखना चाहिए और नाबालिग लड़कों को युवा लड़कियों और महिलाओं और उनकी गरिमा का सम्मान करना चाहिए. इसके साथ ही रेप के आरोपी लड़के को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया. केस कुछ यूं था कि आरोपी ने नाबालिग लड़की के साथ यौन संबंध बनाए थे. दोनों रोमांटिक रिलेशनशिप में थे.
निचली अदालत ने लड़के को POCSO Act के तहत रेप का दोषी माना था. और 20 साल की सजा सुनाई गई थी. इसके खिलाफ आरोपी हाईकोर्ट पहुंचा था.
सुनवाई के दौरान अदालत ने POCSO एक्ट पर भी चिंता जताई. अदालत ने 16 साल से अधिक उम्र के किशोरों के बीच सहमति से बनाए गए यौन संबंध को अपराध की कैटेगरी से बाहर रखने का सुझाव दिया.
आपको बता दें, पोक्सो कानून में 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ सहमति से बनाए गए यौन संबंध को भी रेप माना जाता है. अदालत ने किशोरों को यौन शिक्षा दिए जाने पर भी जोर दिया. कहा कि इसकी शुरुआत घर से होनी चाहिए. माता-पिता पहले शिक्षक होने चाहिए. बच्चों, खासकर लड़कियों को Bad Touch, अश्लील इशारों के बारे में बताना जरूरी है.
कलकत्ता हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में ये भी कहा,
“हमें कभी ये नहीं सोचना चाहिए कि केवल एक लड़की ही दुर्व्यवहार का शिकार होती है. लड़के भी दुर्व्यवहार के शिकार हो सकते हैं. माता-पिता के मार्गदर्शन के अलावा, इन पहलुओं और रिप्रोडक्टिव हेल्थ और हाइजीन पर जोर देने वाली यौन शिक्षा हर स्कूल में दी जानी चाहिए."
हाईकोर्ट ने आखिरी में नाबालिग लड़कियों और लड़कों को कुछ कर्तव्यों का पालने का सुझाव दिया. कहा कि नाबालिग लड़कियों को अपने शरीर की रक्षा करनी चाहिए. अपनी गरिमा और आत्म-सम्मान की रक्षा करें. साथ ही निजता के अधिकारों की भी रक्षा करनी चाहिए. वहीं नाबालिग लड़कों को एक महिला, उसकी गरिमा, निजता और उसकी शारीरिक सीमाओं का सम्मान करना चाहिए.