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आपको रातोरात घर ध्वस्त करने का अधिकार नहीं! जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ करें कार्रवाई, SC ने यूपी सरकार को फटकारा

यूपी में अधिकारियों घर ढहा देने के रवैये पर सख्ती बरतते सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक में कहा कि आपको रातोंरात किसी का घर ढहा देने का अधिकार नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट

Written by Satyam Kumar |Updated : November 6, 2024 2:40 PM IST

6 नवंबर 2024 यानि की आज सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के अधिकारियों को जमकर फटकारा लगाया है. साथ ही अधिकारियों के घर ध्वस्त करने के फैसले पर सख्ती बरतते सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको रातोंरात किसी का घर ढहा देने का अधिकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही (Disciplinary Ecquiry) शुरू करने के आदेश दिए हैं. बता दें कि ये मामला साल 2019 का यूपी के महराजगंज जिले का है, जिसमें सड़क चौड़ीकरण करने को लेकर अधिकारियों ने एक व्यक्ति का घर ढहा दिया था. उस व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखकर इस बात की शिकायत की. साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की.

ऐसे ही घर ध्वस्त नहीं कर सकते!

सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने इस स्वत: संज्ञान लिए मामले को सुना. सुप्रीम कोर्ट ने आवासीय घर गिरा देने के कृत्य पर यूपी सरकार को जमकर फटकारा.

सीजेआई ने कहा,

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आप कह रहे हैं कि उन्होनें 3.7 स्क्वायर मीटर जमीन अधिग्रहित कर रखा था, इस पर हम उनको कोई राहत नहीं दे रहे हैं, लेकिन आप लोग इस तरह से किसी का घर कैसे गिरा सकते हैं... यह तो अराजकता है कि आप रातोंरात किसी के यहां गए और उनका मकान ध्वस्त कर दिया.

पीठ ने मानवाधिकार आयोग (NHRC) की रिपोर्ट भरोसा दिखाया, जिसमें दावा किया गया था कि अधिकारियों ने 3.70 वर्ग मीटर के अधिग्रण पर पूरे घर को ध्वस्त कर दिया गया है. इस रिपोर्ट में मानवाधिकार आयोग ने पीड़ितो को मुआवजा देने के साथ-साथ संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कराने की मांग की है.

पीड़ितो को मिलेगा 25 लाख का मुआवजा

जस्टिस जेबी पारदीवाला ने भी इस रवैये पर नाराजगी जाहिर जताई. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होता है कि आप ढ़ोल तासा लेकर गए, मुनादी करवाई और किसी का घर ढाह दिया. इस पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि अधिकारियों ने याचिकाकर्ताओं को कोई नोटिस नहीं दी, किसी कानूनी प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया है. पीठ ने विषय की गंभीरता को देखते हुए पीड़ितों को 25 लाख रूपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मुआवजा पीड़ितो को अंतरिम राहत देने के लिए है, यह उनके अन्य मुआवजों की कानूनी उपायों से मांग को बाधित नहीं करेगी.

संबंधित अधिकारियों के खिलाफ शुरू करें कार्रवाई

पीठ ने अधिकारियों के इस रवैये को कानून को हाथ में लेना बताया. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने के आदेश दिए हैं. यूपी सरकार को यह भी निर्देश दिया कि अगर वे चाहे तो इन अधिकारियों के खिलाफ अपराधिक कार्यवाही भी शुरू कर सकते हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने घर ध्वस्त करने के मामले में अपनाई जानेवाली कानूनी प्रक्रिया को लेकर दिशानिर्देश भी जारी किए हैं.