मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने 30 साल के एक व्यक्ति को रिहा करने का आदेश दिया है जिसे 41 मामलों में लगभग 83 साल के कारावास की सजा सुनाई गयी थी।
समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार उच्च न्यायालय ने कहा कि अदालतों द्वारा दी गई किसी भी सजा में ‘निवारक’ और ‘सुधारात्मक’ उद्देश्यों के बीच उचित संतुलन बनाकर रखना होगा।
दोषी असलम शेख (Aslam Sheikh) दिसंबर 2014 से जेल में बंद है। उसे चोरी से जुड़े अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था। इस समय वह पुणे की यरवदा जेल (Yerwada Jail, Pune) में बंद है। उसकी सभी सजा एक के बाद एक चलनी थीं क्योंकि निचली अदालतों ने यह स्पष्ट नहीं किया था कि सजा पिछली दोषसिद्धियों और सजाओं के साथ-साथ चलेंगी।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे (Justice Revati Mohite Dere) और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे (Justice Gauri Godse) की खंडपीठ ने शेख की याचिका पर 17 जुलाई को सुनाये फैसले में कहा कि अदालतें न्याय के लिए हैं और किसी भी निचली अदालत ने रोकथाम और सुधार की दंडात्मक नीति पर विचार नहीं किया।