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भले ही दोनों में खूब लगाव हो, लेकिन दादी को पोते की कस्टडी पाने का अधिकार नहीं: बॉम्बे हाई कोर्ट

संपत्ति विवाद के चलते दादी के साथ पल रहे पोते की कस्टडी पिता ने वापस लेनी चाही. दादी ने ऐसा करने से इंकार कर दिया, जिसके बाद बच्चे के पिता के अपने बेटे की कस्टडी की मांग करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. अब बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया है.

Written by Satyam Kumar |Published : September 8, 2025 10:35 AM IST

क्या दादी को पोते की कस्टडी पाने का अधिकार है? क्या दादी अपने पोते की देखभाल के लिए उसकी कस्टडी की मांग कर सकती है? हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसी से जुड़े एक अहम मामले में फैसला सुनाया है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि दादी का पोते के साथ रिश्ता उसे माता-पिता की अपेक्षा बच्चे की कस्टडी का अधिकार नहीं देता है. बच्चा अपनी दादी की देखभाल में था, क्योंकि बच्चे के माता-पिता को मस्तिष्क पक्षाघात से पीड़ित उसके जुड़वां भाई की देखभाल करनी थी.

अदालत ने एक महिला को आदेश दिया है कि वह अपने पांच वर्षीय पोते की कस्टडी उसके जैविक माता-पिता को लौटा दे. हालांकि, संपत्ति को लेकर विवाद के कारण बच्चे के पिता ने अपनी 74 वर्षीय मां से बच्चे की अभिरक्षा (कस्टडी) सौंपने को कहा, लेकिन, जब महिला ने बच्चे की कस्टडी सौंपने से इनकार कर दिया तो उसके पिता ने हाई कोर्ट का रुख किया. बच्चे की दादी ने इस याचिका का विरोध करते हुए दावा किया कि वह जन्म से ही बच्चे की देखभाल कर रही हैं और उनके बीच भावनात्मक रिश्ता है.

जस्टिस रवींद्र घुगे और जस्टिस गौतम अंखड की पीठ ने बृहस्पतिवार को कहा कि दादी का बच्चे के साथ भावनात्मक रिश्ता हो सकता है, लेकिन इस तरह का लगाव उसे जैविक माता-पिता की तुलना में बच्चे की देखभाल का अधिकार नहीं देता है. अदालत ने कहा कि बच्चे पर जैविक माता-पिता के अधिकारों को केवल तभी सीमित किया जा सकता है, जब यह साबित हो जाए कि उन्हें बच्चे की कस्टडी प्रदान करना बच्चे के कल्याण के लिए हानिकारक होगा.

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हाई कोर्ट ने कहा कि बच्चे के माता-पिता के बीच कोई वैवाहिक विवाद नहीं है, तथा पिता शहर के नगर निकाय में कार्यरत हैं और ऐसा कोई भी साक्ष्य नहीं है जिससे पता चले कि वे बच्चे की देखभाल करने में असमर्थ हैं. अदालत ने कहा कि बच्चे को उसके माता-पिता और दादी के बीच विवाद के कारण उनकी देखभाल से वंचित नहीं किया जा सकता. संपत्ति संबंधी विवादों के कारण माता-पिता को उनके बच्चे की वैध अभिरक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता.

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता को जैविक पिता और प्राकृतिक अभिभावक होने के नाते अपने बच्चे की अभिरक्षा का दावा करने का निर्विवाद कानूनी अधिकार है. अदालत ने दादी की इस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि याचिकाकर्ता और उसकी पत्नी भावनात्मक और आर्थिक रूप से जुड़वा बच्चों की देखभाल करने में असमर्थ हैं, हालांकि, अदालत ने माता-पिता को निर्देश दिया कि वे बच्चे की दादी को उससे मिलने की अनुमति दें.

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Child Custody