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ICICI Bank-Videocon loan मामले के आरोपी वेणुगोपाल धूत को बॉम्बे हाई कोर्ट ने दी अंतरिम जमानत

धूत के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि एक ही तारीख को सीबीआई और ईडी दोनो ही उन्हे जांच के लिए बुलाया था. उसी तारीख को ईडी (Enforcement Directorate) द्वारा समन किया गया था

Written by My Lord Team |Published : January 20, 2023 1:13 PM IST

नई दिल्ली: बॉम्बे हाई कोर्ट वीडियोकॉन समूह के संस्थापक और अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत को ICICI Bank-Videocon loan मामले में अंतरिम जमानत की राहत दी है. वेणुगोपाल धूत को 26 दिसंबर को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने जांच में असहयोग के कारणों का हवाला देते हुए गिरफ्तार किया था.

सीबीआई ने धूत को आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) की पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर से जुड़े मामले में सह-आरोपी बनाया है.

गिरफ्तारी के बाद धूत ने सीबीआई विशेष कोर्ट के समक्ष याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था. निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए धूत ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर खुद की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया.

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धूत की ओर से अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि उनकी गिरफ्तारी दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure, 1973) की धारा 41 और 41ए का उल्लंघन किया गया है. क्योंकि मामला दर्ज होने के लंबे समय बाद उन्हे इस मामले में गिरफ्तार किया गया है.

याचिका का विरोध करते हुए सीबीआई ने कहा कि धूत इस मामले में जांच से भाग रहे हैं और जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे. सीबीआई ने धूत की गिरफ़्तारी का एक और कारण यह बताया की धूत को सम्मन दिए जाने के बावजूद 25 दिसंबर को उपस्थित नहीं हुए थे.

सीबीआई की दलीलों का विरोध करते हुए धूत के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि एक ही तारीख को सीबीआई और ईडी दोनो ही उन्हे जांच के लिए बुलाया था. उसी तारीख को ईडी (Enforcement Directorate) द्वारा समन किया गया था और इसलिए वह सीबीआई की आवश्यकता के अनुसार उपस्थित नहीं हो सकते थे जिसके लिए उनके द्वारा सीबीआई को विधिवत सूचित भी किया गया था.

धूत की ओर से कहा गया कि उसके अगले दिन यानी 26 दिसंबर को वे खुद सीबीआई कार्यालय में उपस्थित थे जिस दिन उन्हें हिरासत में ले लिया गया.

दोनो पक्षो की बहस सुनने के बाद अदालत ने एक लाख के जमानती मुचलके पर धूत को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.

क्या है मामला

जून 2009 और अक्टूबर 2011 के बीच, सीबीआई के अनुसार, आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप की छह कंपनियों को वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को क़र्ज़ चुकाने में सक्षम बनाने के उद्देश्य से ₹1,875 करोड़ के क़र्ज़ की मंजूरी दी थी. सीबीआई ने जनवरी 2018 में आरोपी की जांच तब शुरू की जब वीडियोकॉन के वेणुगोपाल धूत ने एक फर्म को भुगतान किया.

सीबीआई ने इन कर्ज़ों को बाद में गैर-निष्पादित संपत्ति करार दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप आईसीआईसीआई बैंक को गलत नुकसान हुआ और आरोपी व्यक्तियों को गलत लाभ हुआ.

धूत के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 7, 13(2) आर/डब्ल्यू 13(1) और (D) और आईपीसी की धारा 420 और 120 बी के तहत मामला दर्ज किया गया था जिसमे उन्हें पहले भी गिरफ्तार किया गया था. बाद में उन्हें विशेष अदालत द्वारा जमानत पर रिहा कर दिया गया, जबकि जांच जारी रही और 26 दिसंबर, 2022 को सीबीआई द्वारा असहयोग के लिए उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था.