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आजीवन कारावास नहीं, दोषी संजय रॉय को फांसी दी जाए... मांग को लेकर बंगाल सरकार गई Calcutta HC

राज्य सरकार ने दावा किया कि यह मामला रेयरेस्ट ऑफ रेयर है, आरोपी संजय रॉय को फांसी की सजा होनी चाहिए. बीते कल सियालदह कोर्ट ने आरजी रेप-मर्डर मामले में इस घटना को दुर्लभतम में एक मानने से इंकार करते हुए आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

कलकत्ता हाईकोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : January 21, 2025 12:47 PM IST

पश्चिम बंगाल सरकार ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज रेप-मर्डर मामले में संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के सियालदह कोर्ट के फैसले के खिलाफ कलकत्ता हाई कोर्ट का रुख किया है. राज्य सरकार ने दावा किया कि यह मामला रेयरेस्ट ऑफ रेयर है, जबकि अदालत ने ऐसा मानने से इंकार करते हुए फांसी की जगह आजीवन की कारावास की सजा दी है. महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने संजय रॉय के लिए मौत की सजा की मांग करते हुए जस्टिस देबांगशु बसाक की खंडपीठ में याचिका दायर की है. मामले को दायर करने की अनुमति दे दी गई है. बता दें कि आरजी कर मामले में दोषी रॉय को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 64 (बलात्कार), 66 (मृत्यु का कारण बनने की सजा) और 103 (1) (हत्या) के तहत दोषी ठहराते हुए धारा 64 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

आरजी कर मामले की सुनवाई करते हुए सियालदह कोर्ट में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिर्बान दास ने पिछले साल नौ अगस्त को हुई वारदात के लिए शनिवार को रॉय को दोषी पाया था. अदालत ने मृत्युदंड के अनुरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह मामला ‘‘दुर्लभ में से दुर्लभतम’’ अपराध की श्रेणी में नहीं आता. इस घटना के बाद पूरे देश में आक्रोश फैल गया था और पश्चिम बंगाल में लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन हुए. अदालत ने रॉय पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया और राज्य सरकार को मृतक चिकित्सक के परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया. जज दास ने कहा कि पीड़िता की मौत उसके कार्यस्थल अस्पताल में ड्यूटी के दौरान हुई, इसलिए राज्य की यह जिम्मेदारी है कि वह चिकित्सक के परिवार को मुआवजा दे. मृत्यु के लिए 10 लाख रुपये और दुष्कर्म के लिए सात लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया जाता है.

जज दास ने कहा कि यह अपराध ‘‘दुर्लभ से दुर्लभतम’’ श्रेणी में नहीं आता, जिससे दोषी को मृत्युदंड दिया जा सके. जज ने कहा कि सीबीआई ने मृत्युदंड देने का अनुरोध किया. बचाव पक्ष के वकील ने गुहार लगाई है कि मृत्युदंड के बजाय कारावास की सजा दी जाए...यह अपराध दुर्लभतम श्रेणी में नहीं आता है.

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जज ने रॉय से कहा कि मैं आपको आजीवन कारावास की सजा सुना रहा हूं, अर्थात आपके जीवन के अंतिम दिन तक कारावास. यह सजा पीड़िता के साथ बलात्कार के दौरान उसे चोट पहुंचाने के लिए है, जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गई. जज ने कहा कि जुर्माना अदा न करने पर पांच महीने अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी. अदालत ने कहा कि धारा 103(1) के तहत रॉय को आजीवन कारावास और 50,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई जाती है और जुर्माना नहीं देने पर उसे पांच महीने अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। न्यायाधीश ने फैसले में कहा कि इसके अतिरिक्त धारा 66 के तहत भी उसे मृत्यु तक कारावास की सजा दी जाती है। उन्होंने कहा कि सभी सजाएं एक साथ चलेंगी.

वहीं, रॉय ने अदालत में दावा किया कि वह निर्दोष है और उसे गलत तरीके से फंसाया गया है. रॉय ने मामले में सजा सुनाए जाने से पहले अदालत से कहा कि मुझे फंसाया जा रहा है और मैंने कोई अपराध नहीं किया है. मैंने कुछ भी नहीं किया है और फिर भी मुझे दोषी ठहराया गया है. जज ने रॉय को सूचित किया कि उसे इस निर्णय के खिलाफ कलकत्ता उच्च न्यायालय में अपील करने का अधिकार है और जरूरत पड़ने पर उसे कानूनी सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी. न्यायाधीश ने यह सजा दोषी के अंतिम बयान, बचाव पक्ष, पीड़िता के परिवार के वकील और सीबीआई की दलीलों को सुनने के बाद सुनाई.

(खबर पीटीआई इनपुट पर आधारित है)