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बंगाल में बीजेपी के लिए प्रचार करने पर TMC समर्थकों ने हिंदू परिवार का घर किया तबाह, फिर पुलिस ने क्यों दर्ज नहीं की FIR, आज सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार खूब लताड़ा

सुप्रीम कोर्ट ने 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान हुए एक हिंदू परिवार पर हमले के छह आरोपियों की जमानत रद्द कर दी.

सुप्रीम कोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : June 5, 2025 4:25 PM IST

आज सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ममता सरकार को आईना दिखाया है. कोर्ट ने अपने आदेश में जो दर्ज किया है, वो दर्शाता है कि ममता सरकार के राज में विपक्षी पार्टी का समर्थन करने की क़ीमत कैसे बीजेपी कार्यकर्ताओं को चुकानी पड़ती है. पुलिस एफआईआर दर्ज करने के बजाए पीड़ित को अपनी जान बचाने के लिए गांव छोड़ने को कहती है. मामला बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव का है. जब कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस मामले में हिंदू परिवार पर हमले करने वाले 6 आरोपियों को ज़मानत दे दी थी. इसके खिलाफ CBI की अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने न केवल इन आरोपियों की ज़मानत रद्द कर दी बल्कि अपने फैसले में सख्त टिप्पणी की है, जिन आरोपियों की ज़मानत रद्द हुई है, उनमें शेख जमीर हुसैन, शेख नूरई, शेख अशरफ, शेख करीबुल और जयंत डोन शामिल है.

मामला 2 मई 2021 का है,जब पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए. इस मामले में शिकायतकर्ता का कहना था कि वो हिंदू है जबकि उसके गांव गुमसिमा (PO जात्रा) में रहने वाले ज़्यादातर लोग मुस्लिम समुदाय के है और सत्तारूढ़ टीएमसी पार्टी के समर्थक है. शिकायतकर्ता का कहना था कि गांव में अल्पसंख्यक होने के चलते वो वैसे भी धार्मिक गतिविधियों को नहीं कर पाता है. इसके बावजूद शिकायतकर्ता और गांव के कुछ लोगों में हिम्मत दिखाई और विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी के लिए प्रचार करना शुरू कर दिया. गांव में मौजूद मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले टीएमसी समर्थको को यह नागवार गुजरा. उन्होंने धमकी दी कि बीजेपी का समर्थन करने की कीमत उन्हें और उनके परिवार को चुकानी पड़ेगी. इसी बीच चुनाव से पहले एक बम भी उनकी चाय की दुकान पर फेंका गया. 2 मई 2021 को जब चुनाव परिणाम की घोषणा हुई तो शेख माहिम की अगुवाई में करीब 40-50 बदमाश इकट्ठा हुए और उन्होंने शिकायकर्ता के घर पर बम डालने शुरू कर दिए. बदमाशों के पास छड़ी, चाकू,आयरन रॉड ,रिवाल्वर थे. उन्होंने घर पर हमला करके घर को तहस नहस कर दिया, घर लूट लिया. यही नहीं बदमाशो ने शिकायकर्ता की पत्नी को भी नहीं बख्शा. बदमाशों ने उसके बालों को पकड़ा, कपड़े निकाल दिये और उन्हें जबर्दस्ती वस्त्रहीन कर दिया. महिला के निजी अंगों को छुआ, उनके साथ छेड़छाड़ की. ऐसी मुश्किल घड़ी में बचने का कोई और विकल्प न देखकर महिला ने ख़ुद पर केरोसिन तेल डाल लिया और धमकी दी कि अगर वो अब आगे बढ़े तो वो खुद को आग लगा लेगी. इसके बाद बदमाश मौके से चले गए. शिकायकर्ता अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ किसी तरह जान बचाकर गांव से निकले. अगले दिन वो अपनी शिकायत दर्ज कराने सदाईपुर थाने पहुँचे लेकिन थाना इंचार्ज ने शिकायत ही नहीं ली। की. थाना इंचार्ज ने FIR दर्ज करने के बजाए उनसे कहा कि वो गांव छोड़कर चले जाए.

पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा की कई घटनाओ में पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की, इसके चलते हाई कोर्ट में कई याचिकाए दाखिल हुए. 19 अगस्त 2021 को कलकत्ता हाई कोर्ट ने उन सभी मामलों में CBI को उन सभी केस की जांच करने का आदेश दिया जो हत्या या महिलाओं के साथ रेप/ अपराध से जुड़े थे इसी केचलते इस केस में CBI ने एफआईआर दर्ज की. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में दर्ज किया कि इस मामले में आरोप इतने गम्भीर है कि कोर्ट को झकझोर देने वाले है. इस मामले में कोई संदेह नहीं है कि शिकायतकर्ता ने जब FIR के लिए सदाईपुर थाने का रुख किया तो थाना इंचार्ज ने एफआईआर दर्ज करने से इंकार कर दिया और कहा कि उन्हें अपने परिवार की रक्षा के लिए गांव छोड़ देना चाहिए. पुलिस का यह रवैया दर्शाता है कि आरोपियों का अपने इलाके में और यहां तक ​​कि पुलिस पर भी कितना दबदबा है. जाहिर है कि चुनाव के दिन जिस तरह से शिकायतकर्ता के घर पर हमला किया गया, उसका एकमात्र मकसद बीजेपी का समर्थन करने के चलते उनसे बदला लेना था. वो लगातार बीजेपी समर्थकों को आतंकित कर रहे थे. उन्होंने जिस निंदनीय तरीके से घटना को अंजाम दिया गया, उससे साफ है कि वो विपक्षी समर्थकों को किसी भी तरह से अपने अधीन करना चाहते है. यह नृशंस अपराध लोकतंत्र की जड़ों पर एक गंभीर हमले से कम नहीं था. सुप्रीम कोर्ट ने इन आरोपियों की जमानत खारिज करते हुए सीबीआई को जांच जारी रखने के निर्देश दिए हैं.

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