बीते दिन यानि मंगलवार को लोकसभा में बैंकिंग संशोधन अधिनियम, 2024 (Banking Amendment Act, 2024) ध्वनिमत से पारित किया गया है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बिल को सदन के पटल पर रखा था, जिसे संसद सदस्यों ने ध्वनिमत से सहमति जताई. बैंकिंग संशोधन विधेयक का उद्देश्य बैंक गवर्नेंस को बेहतर बनाना और कस्टमर के लिए नॉमिनी सिस्टम में बदलाव लाना है.
बैंकिग संशोधन अधिनियम विधेयक 2024 को सदन के पटल पर रखते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन बैंकिंग क्षेत्र में शासन को मजबूत करेंगे. इस संशोधन का उद्देश्य ग्राहकों की सुविधा को बढ़ाना है. वित्तमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि संशोधनों से बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी.
सीतारमण ने कहा,
"हमारा उद्देश्य हमारे बैंकों को सुरक्षित, स्थिर और स्वस्थ रखना है और 10 साल बाद आप इसका परिणाम देख रहे हैं."
बैंकिंग संशोधन विधेयक, 2024 में बैंक कस्टमर से लेकर बैंक के बोर्ड और कार्यकारी कमेटी में भी बदलाव होंगे. इस विधेयक के कानून बनने के बाद सहकारी बैंक के डाइयरेक्टर, राज्य के सहकारी बैंक का डायरेक्टर भी बन सकेंगे. वहीं ग्राहक अब अपने अकाउंट में चार नॉमिनी को जोड़ सकेंगे. नॉमिनी जोड़ने में बदलाव का मुख्य कारण कोविड के दौरान से उत्पन्न हुई चुनौती को कवर करना है. वहीं बैंक के नियामकीय अनुपालन के अपने कार्य की रिपोर्ट सबमिट करने की तारीख में बदलाव हुआ है, जो नियामकों को अपने कार्रवाई की जानकारी देने का काम पहले बैंक पहले और आखिरी शुक्रवार को किया जा रहा था. विधेयक के कानून बनने के बाद बैंकों को रिपोर्टिंग का काम महीने की पंद्रह तारीख और आखिरी तारीख को करनी पडे़गी.
साथ ही विधेयक में सहकारी बैंकों में निदेशकों (चेयरमैन एवं पूर्णकालिक निदेशक को छोड़कर) के कार्यकाल को आठ साल से बढ़ाकर 10 साल करने का प्रस्ताव है, जिसे संविधान (97वां संशोधन) अधिनियम, 2011 के अनुरूप बनाने के लिए यह संशोधन किया गया है. इसके अलावे विधेयक पारित होने के बाद केंद्रीय सहकारी बैंक के निदेशक को राज्य सहकारी बैंक के निदेशक मंडल में नियुक्त किए जाने की मंजूरी मिल जाएगी. बैंकिंग संशोधन विधेयक में वैधानिक लेखा परीक्षकों का पारिश्रमिक तय करने में बैंकों को अधिक स्वतंत्रता देने का भी प्रावधान किया गया है.
(खबर भाषा इनपुट के आधार पर लिखी गई है)