दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की याचिका खारिज की. दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा, अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और रिमांड कानूनन वैध है. न्यायालय कानून के नियमों से बंधे हैं, ना कि देश के राजनीतिक हालातों से. दिल्ली हाईकोर्ट ने ये बातें अरविंद केजरीवाल की याचिका खारिज करते हुए कहा, जिसमें अरविंद केजरीवाल ने ईडी की गिरफ्तारी एवं रिमांड को चुनौती दी थी. बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने 3 अप्रैल के दिन दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था.
अरविंद केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें 28 मार्च तक ईडी की रिमांड में भेजा. 28 मार्च के बाद से अरविंद केजरीवाल न्यायिक हिरासत में है, 15 अप्रैल तक रहेंगे. दिल्ली के सीएम पर शराब नीति घोटाले में पैसों की हेराफेरी के आरोप हैं. ईडी ने उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है.
दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा की बेंच ने अरविंद केजरीवाल की याचिका को सुना. जस्टिस ने अरविंद केजरीवाल की गई मांगो के आधार पर सवाल उठाया है.
जस्टिस ने कहा,
"हम, न्यायाधीश कानून से बंधे हैं, राजनीति से नहीं. फैसले कानूनी सिद्धांतों के आधार पर दिए जाते हैं, राजनीतिक विचारों के आधार पर नहीं. अदालत राजनीति के दायरे में नहीं जा सकती."
बता दें कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी लोकसभा चुनाव के ठीक पहले और आचार संहिता लागू होने के बाद हुई. जस्टिस ने गिरफ्तारी के समय को लेकर भी अपने रूख स्पष्ट किए हैं.
जस्टिस ने कहा,
"इस विषय पर अदालत की राय है कि आरोपी की गिरफ्तारी और रिमांड की जांच कानून के अनुसार की जानी चाहिए, न कि चुनाव के समय के अनुसार... श्री केजरीवाल को लोकसभा की तारीखों के बारे में पता होगा, उन्हें पता होगा पता है चुनाव कब होंगे..."
जस्टिस ने ईडी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों को गौर करते हुए पाया, कि अरविंद केजरीवाल पर लगाए गए आरोप सही है.
जस्टिस ने कहा,
"ईडी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों से स्पष्ट है कि श्री अरविंद केजरीवाल ने साजिश रची थी और अपराध की आय के उपयोग और छिपाने में सक्रिय रूप से शामिल थे. ईडी के मामले से यह भी पता चलता है कि वह अपनी व्यक्तिगत क्षमता के साथ-साथ आप के संयोजक के रूप में भी शामिल थे."
जस्टिस ने सुनवाई के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए सुनवाई करने की मांग के विषय पर भी अपनी राय स्पष्ट किया.
जस्टिस ने कहा,
"यह तय करना आरोपी का काम नहीं है कि जांच कैसे की जाएगी. यह आरोपी की सुविधा के अनुसार नहीं हो सकता. मुख्यमंत्री सहित किसी के लिए कोई विशिष्ट विशेषाधिकार नहीं हो सकता है."
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाने के दौरान उपरोक्त बातें कहीं. दिल्ली उच्च न्यायालय ने अरविंद केजरीवाल की याचिका को खारिज कर दिया है.