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Article 370 के निराकरण के खिलाफ Kapil Sibal ने पेश की दलीलें, 8 अगस्त को Supreme Court में होगी अगली सुनवाई

संविधान के अनुच्छेद 370 के निराकरण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय ने 2 अगस्त, 2023 से अंतिम सुनवाई शुरू कर दी है। सीजेआई दी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ आज फिर इस मामले में सुनवाई करेगी; आज वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल अपनी अंतिम दलीलें पेश करेंगे..

Article 370 Supreme Court Hearing

Written by Ananya Srivastava |Updated : August 3, 2023 4:37 PM IST

नई दिल्ली: साल 2019 में केंद्र सरकार दवा संविधान के अनुच्छेद 370 का निराकरण (Abrogation of Article 370) किया गया था जिसके बाद जम्मू कश्मीर का स्पेशल स्टेटस हट गया था। केंद्र के इस फैसले के खिलाफ दायर याचिकाएं काफी समय से लंबित थीं और इनपर अब जाकर उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में सुनवाई शुरू हुई है। कल यानी 2 अगस्त, 2023 को सुनवाई हो चुकी है और अब दूसरे दिन यानी आज, 3 अगस्त की सुनवाई भी पूरी हो गई है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice of India DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली इस विशेष संवैधानिक पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल(Justice Sanjay Kishan Kaul), जस्टिस संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna), जस्टिस बी आर गवई (Justice BR Gavai) और जस्टिस सूर्यकांत (Justice Surya Kant) भी शामिल हैं।

इस दिन होगी अगली सुनवाई 

लगातार दो दिन तक अनुच्छेद 370 के निराकरण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद अब उच्चतम न्यायालय ने यह तय किया है मंगलवार 8 अगस्त, 2023 को सुनवाई की अगली तारीख होगी।

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Kapil Sibal ने उठाए ये सवाल 

बता दें कि आज की सुनवाई के दौरान अपनी दलीलों को कोर्ट के समक्ष पेश करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने कुछ बड़े सवाल उठाए हैं। कपिल सिब्बल ने यह पूछा है कि ऐसा कौनसा कानून है जिसके अनुसार विधान सभा (Legislative Assembly) संविधान सभा (Constituent Assembly) में बदली जा सकती है? कपिल सिब्बल का यह कहना है कि अगर विधान सभा खुद को कॉन्स्टिट्यूएंट असेंबली मानने लगेगी तो क्या उसके पास आगे चलकर संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर को बदलने का भी अधिकार होगा?

इसपर सीजेआई दी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि विधान सभा जब संविधान में संशोधन भी करती है, उसे संविधान सभा की शक्तियों को इस्तेमाल करना नहीं कहा जा सकता है; विधान सभा एक कॉन्स्टिट्यूएंट पावर का इस्तेमाल कर सकती है जो संविधान में संशोधन करना है, लेकिन ये कॉन्स्टिट्यूएंट पावर सीमित है।

कपिल सिब्बल का यह कहना है कि केंद्र ने राज्य और केंद्र, दोनों की शक्तियों को अपने हाथ में लेकर अनुच्छेद 370 का निराकरण किया जो गैर-कानूनी और असंवैधानिक है। फिलहाल सुनवाई पर विराम लगाया गया है, मामले को यहीं से, 8 अगस्त, 2023 को जारी रखा जाएगा।

वरिष्ठ अधिवता ने अदालत के समक्ष रखी थीं ये बातें

जम्‍मू-कश्‍मीर को प्राप्‍त विशेष राज्‍य का दर्जा हटाने और इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख में बांटने के 2019 के राष्‍ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कल अपनी दलीलों की शुरुआत इस बयान से की थी कि जम्मू-कश्मीर का भारत में एकीकरण निर्विवाद था, है और रहेगा।

इसके बावजूद वरिष्ठ अधिवक्ता ने यह कहा कि जिस तरह अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया है, वो गलत और असंवैधानिक है, इसे करने की शक्ति केंद्र सरकार के पास नहीं थी। तमाम कागजात और इतिहास के दस्तावेजों के जरिए कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलों को साबित करने की कोशिश की और आज, सुनवाई के दूसरे दिन पर उनकी बहस जारी है।