Allahabad High Court: हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए टिप्पणी कहा है कि डराकर या किसी अन्य दवाब से महिला से सहमति पाकर यौन संबंध बनाना भी बलात्कार है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी की याचिका खारिज करते हुए कहा कि साक्ष्यों से पता चलता है कि मामले में महिला की सहमति धोखे या डराकर प्राप्त की गई थी. बलात्कार के इस मामले में आरोपी ने अपने खिलाफ दायर मुकदमे को रद्द करने की मांग की थी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस अनीस कुमार गुप्ता ने आरोपी की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने शादी का झांसा देकर बलात्कार के मामले में अपने खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही को खारिज करने की मांग की थी.
अदालत ने कहा,
"आवेदक ने धोखाधड़ी, धमकी आदि से महिला की इच्छा के विरुद्ध पहली बार संबंध बनाया, इसलिए आवेदक के खिलाफ प्रथम दृष्टया आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) के तहत अपराध बनता है. हालांकि बाद में जो संबंध बने वे शादी के वादे के अनुसार सहमति से बनाया गया दिखाई पड़ता है. वहीं, महिला का दावा है कि ये संबंध भी याचिकाकर्ता ने दवाब देकर बनाया है. अदालत को इस मामले को रद्द करने का कोई उचित कारण नहीं दिखाई पड़ता है."
बहस के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि आवेदक और महिला एक-दूसरे को जानते थे और दोनों सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. उनके बीच सहमति से शारीरिक संबंध बने, जो लंबे समय तक जारी रहा. वकील ने आगे कहा कि चूंकि दोनों पक्षों के बीच लंबे समय से साथ में थे, इसलिए आवेदक के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) के तहत कोई भी अपराध नहीं बनता है.
राज्य के वकील ने इस दावे का विरोध करते हुए कहा कि पक्षों के बीच संबंध की शुरूआत धोखाधड़ी पर आधारित थी.आवेदक ने जबरन शारीरिक संबंध बनाया था जिसमें महिला की सहमति नहीं थी.
कोर्ट में दाखिल याचिका में आरोपी ने आगरा जिले के एक थाने में आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) के तहत दर्ज शिकायत में दिसंबर 2018 में उसके खिलाफ दाखिल चार्जशीट को रद्द करने की गुहार लगाई थी. चार्जशीट के आधार पर आपराधिक कार्यवाही शुरू की जा चुकी है जो आगरा के जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में लंबित है. एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि आवेदक ने पहले महिला को बेहोश कर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए. इसके बाद कथित तौर पर शादी का झांसा देकर उसका शारीरिक शोषण करता रहा.