Sambhal Jama Masjid: आज इलाहाबाद हाई कोर्ट ने Archaeological Survey of India (ASI) को 1927 में मस्जिद प्रबंधन समिति और ASI के बीच हुए समझौते के अनुसार, सांभल जामा मस्जिद का सफेदी करने का निर्देश दिया है. हाई कोर्ट ने ASI को उन सभी हिस्सों के रंगरोगन करने का आदेश दिया है, जहां-जहां इसकी आवश्यकता है. वहीं, रंगरोगन का काम पूरा होने के एक सप्ताह के भीतर मस्जिद समिति को रंगरोगन में हुए खर्च का भगतान करने को कहा है.
इसके साथ ही आज सुनवाई के दौरान जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच ने मस्जिद समिति की ओर से पिछले महीने दायर आवेदन का निपटारा किया. जिसमें रमज़ान से पहले मस्जिद की रंगरोगन कराने की अनुमति मांगी गई थी. जस्टिस ने ASI के वकील से असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि मस्जिद प्रबंधन समिति वर्षों से रंगरोगन कर रही है, जिससे दीवारों को नुकसान हुआ है.
मस्जिद कमेटी ने आगामी रमजान महीने से पहले मस्जिद के रंगरोगन और सफाई करने की अनुमति मांगी थी. सुनवाई के दौरान, बेंच ने ASI के वकील मनोज कुमार सिंह की असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि मस्जिद प्रबंधन समिति ने वर्षों से मस्जिद का सफेदीकरण किया है, जिससे उसकी बाहरी दीवारों को नुकसान पहुंचा है.
ASI की दलीलों से आपत्ति जताते हुए हाई कोर्ट ने पूछा कि जब मस्जिद कमेटी के कार्यों के कारण कथित नुकसान हो रहा था, तब ASI के अधिकारी क्यों हस्तक्षेप नहीं कर रहे थे. जस्टिस अग्रवाल ने कहा, "आप 2010 में कहां थे, 2020 में कहां थे? यह केवल 2024-25 में आप लोग कार्रवाई कर रहे हैं."
बेंच ने यह भी कहा,"हवा में बहस नहीं होती है. एडनोकेट जनरल यहां हैं, उनसे कहें कि मस्जिद समिति को नोटिस दें कि 1927 का समझौता रद्द कर दिया गया है." उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार (ब्रिटिश शासन) की सभी जिम्मेदारियां अब इस सरकार के पास हैं. ASI को यह स्पष्ट करना होगा कि मस्जिद समिति ने समझौते का उल्लंघन किया है.
उक्त टिप्पणियों के साथ इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ASI को संभल जामा मस्जिद की रंगरोगन कराने के आदेश दिए हैं.