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PFI से वसूले जाऐंगे 5.2 करोड़, सार्वजनिक संपत्ति के नुक़सान करने पर ये होती है सजा

सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण कानून 1984 के प्रावधानों के अनुसार सार्वजनिक संपंति को नुकसान पहुंचाने के मामले में दोषी व्यक्ति को जेल की सज़ा हो सकती है. इसके साथ ही दोषी व्यक्ति पर भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

Written by Nizam Kantaliya |Published : December 26, 2022 11:58 AM IST

नई दिल्ली: केरल हाई कोर्ट ने पीएफआई उपद्रव में राज्य की सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान के लिए 5.2 करोड़ वसूलने के आदेश दिए है. सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान के मामले में केरल हाईकोर्ट ने राज्य प्रशासन को सख्त हिदायत देते हुए यहां तक कहा है कि यदि पीएफआई आदेश का पालन नहीं करती है तो राज्य सरकार पीएफआई की संपत्तियों के साथ-साथ उसके सचिव अब्दुल सथार सहित अन्य पदाधिकारियों की व्यक्तिगत संपत्तियों के खिलाफ राजस्व वसूली की कार्यवाही शुरू कर सकती है.

केन्द्र सरकार 28 सितंबर, 2022 को PFI पर बैन लगा दिया था, जिसके विरोध में केरल में PFI कार्यकर्ताओं द्वारा जमकर उपद्रव किया गया. इस उपद्रव में राज्य की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया. जिसे लेकर हाईकोर्ट ने स्वप्रेणा प्रसंज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को आदेश दिए की उपद्रव के दौरान हुए नुकसान की भरपाई PFI से की जाए.

प्रदर्शन का अधिकार, नुकसान का नहीं

देश में इससे पूर्व भी अनेको बार विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है. सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाए जाने पर कई बार सरकार तो कई अदालतें तोड़ फोड़ करने वालो से वसूली करने का आदेश देती है.

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ऐसे कई उदाहरण भी हैं जिसमें न्यायालय ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने के मामलों में, कठोर सज़ा दी है. लेकिन इसके बावजूद देश भर में विरोध प्रदर्शनों और हड़तालों के दौरान दंगा, संपत्ति को नष्ट किए जाने, आगज़नी की घटनाएं बेहद आम हैं.

एक लोकतांत्रिक देश में आम जनता को हड़ताल और प्रदर्शन के माध्यम से अपनी मांगों को रखने का अधिकार है. लेकिन  जनता अपनी मांगों को मनवाने के लिए हिंसा का प्रयोग नहीं कर सकती और ना ही सार्वजनिक संपत्ति का ही नुकसान कर सकती है.

विरोध प्रदर्शनों और हड़ताल के दौरान सार्वजनिक और सरकारी संपत्ति को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए ही "लोक संपत्ति नुक़सान निवारण अधिनियम, 1984" पारित किया गया था जिसे सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण कानून 1984 के नाम से भी जाना जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य था कि ऐसे मामलों में पाए गए दोषियों को सख्त सज़ा दी जाए.

क्या है सार्वजनिक संपत्ति

इस अधिनियम के अनुसार, प्रत्येक संपंति जिस पर स्वामित्व, नियंत्रण और अधिकार केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय प्राधिकरण के अधीन हो. कंपनी या संस्था जो केंद्रीय या राज्य के किसी अधिनियम के तहत स्थापित की गयी हो.  कोई भी अन्य संस्था और उपकर्म जिसको केंद्र सरकार द्वारा सार्वजनिक संपत्ति घोषित किया गया है, या राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक संपत्ति घोषित किया गया हो, उन सभी सम्पत्तियां को सार्वजनिक संपत्ति माना जाता है.

क्या है सजा का प्रावधान

सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण कानून 1984 के प्रावधानों के अनुसार सार्वजनिक संपंति को नुकसान पहुंचाने के मामले में दोषी व्यक्ति को जेल की सज़ा हो सकती है. इसके साथ ही दोषी व्यक्ति पर भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

धारा 3— इस अधिनियम की धारा 3 के अनुसार अगर कोई व्यक्ति सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति को हानि पहुंचाता है और दोषी पाया जाता है तो उसे कम से कम 1 साल से लेकर 5 साल तक की सज़ा हो सकती है. कारावास की सज़ा के साथ-साथ व्यक्ति पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

धारा 4— इस धारा के अनुसार कोई व्यक्ति आग या विस्फोटक द्वारा सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति को हानि पहुंचाता है और दोषी पाया जाता है तो उसे कम से कम 1 साल की सज़ा, जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माने की सज़ा दी जा सकती है.

नुकसान की जिम्मेदारी आरोपी की

वर्ष 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति के बढ़ते नुकसान की घटनाओं को देखते हुए स्वप्रेणा प्रसंज्ञान लेते हुए दो उच्च स्तरीय समितियों का गठन किया.

2009 में इन समितियों की महत्वपूर्ण सलाह पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा के लिये दिशा निर्देश जारी करते हुए सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान होने पर सारी जिम्मेदारी आरोपी की तय की गयी.

ऐसे मामलों में दंगाइयों से सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की वसूली करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी किए. देश की सर्वोच्च अदालत के अनुसार अनुसार प्रूफ ऑफ बर्डन (Burden of Proof) आरोपी पर होगा अर्थात कोर्ट यह मानकर चलेगा कि नुकसान आरोपी ने किया है.आरोपी को खुद को निर्दोष साबित करना होगा.

अदालत की अवमानना

केरल हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश को आधार बनाते हुए उपद्रव के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई के लिए  PFI से वसूली के आदेश दिए है.

सुप्रीम कोर्ट का आदेश की पालना नहीं करना भी अवमानना की श्रेणी में आएगा, ऐसी स्थिति में अब PFI से केरल सरकार को ये वसूली हर हाल में करनी होगी, अन्यथा केरल सरकार अदालत की अमवानना की दोषी होगी.