सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आतंकवाद निरोधी कानून ‘यूएपीए (UAPA)’ के तहत प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के पूर्व अध्यक्ष ई. अबूबकर को चिकित्सा आधार पर जमानत देने से इनकार किया है. अबूबकर को 2022 में एनआईए ने गिरफ्तार किया गया था, जब प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के सदस्यों पर आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता का आरोप लगा. इससे पहले, अबबूकर ने निचली अदालत द्वारा जमानत याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने केरल हाईकोर्ट का रुख किया था.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद वे जांच के इस चरण में अबूबकर को रिहा करने के इच्छुक नहीं है. अबूबकर ने अपनी याचिका में बताया कि वह 70 वर्ष का है और पार्किंसंस रोग से पीड़ित हैं. इसके साथ ही उन्होंने कैंसर के इलाज के लिए सर्जरी कराने की बात कहीं. उन्होंने दलील दिया कि गुण दोष के आधार पर उन्हें जमानत मिलनी चाहिए, क्योंकि एनआईए उनके खिलाफ मामला साबित करने में विफल रही है.
केंद्रीय आतंकवाद निरोधी एजेंसी के अनुसार, PFI ने देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकी वारदातों को अंजाम देने के इरादे से धन जुटाने के लिए आपराधिक साजिश रची थी, जिसके बाद सरकार ने 28 सितंबर, 2022 को पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाया है. पीएफआई से संबद्ध सदस्यों की गिरफ्तारियां केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, असम, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, दिल्ली और राजस्थान में की गई थी. संगठन पर आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकी समूहों से संबंध रखने का आरोप है.
केंद्रीय जांच एजेंसी के अनुसार, पीएफआई, उसके पदाधिकारियों और सदस्यों ने देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकी वारदातों को अंजाम देने के इरादे से धन जुटाने के लिए आपराधिक साजिश रची और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपने कैडर को प्रशिक्षित करने के वास्ते शिविर आयोजित कर रहे थे.
(खबर पीटीआई इनपुट पर आधारित है)