गुजरात हाइकोर्ट ने 16 लोगों के पानी में डूबने की घटना को स्वत: संज्ञान में लिया. हादसा गुजरात के वडोदरा जिले की है. जहां पिकनिक पर गए 12 बच्चों और 2 शिक्षकों सहित कुल 16 लोगों की पानी में डूबने से जान गई. इस नौका विहार के दौरान इस कुल 27 लोग नाव पर सवार थे, जिसमें केवल 11 लोग ही जीवित बचें.
चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस अनिरूद्ध पी. मायी की बेंच ने इस हादसे को स्वत: संज्ञान (Suo motu) लिया. कोर्ट ने मामले में सचिव, गृह विभाग, गुजरात राज्य साथ-साथ गृह विभाग, गुजरात सरकार के अधिकारी से 29 तक रिपोर्ट मांगा है.
गुजरात हाईकोर्ट वकील संघ के अध्यक्ष, ब्रजेश त्रिपाठी ने समाचारों के हवाले से इस हादसे को कोर्ट के सामने के पेश किया. जिसके बाद कोर्ट ने गुजरात राज्य के अधिकारियों को 29 जनवरी तक मामले की पूरी जानकारी प्रस्तुत करने को कहा.
कोर्ट ने अखबार में छपी इस घटना को बेहद दर्दनाक बताया. और कहा कि इस नौका विहार के दौरान विभिन्न सुरक्षा मानदण्डं को ताक पर रखा गया. जैसे कि नाव पर सवार बच्चों को लाइफ जैकैट नहीं पहनाए गए. कोर्ट इस लापरवाही की अनदेखी नहीं कर सकता.
चीफ जस्टिस अग्रवाल ने मौखिक रूप से कहा,
“यह बेहद दुखद है. इस पर आसानी से रोका जा सकता है. आप सुरक्षा मानदंडों का पालन करते, तो इस दुर्घटना से बच सकते थे. इसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.”
यह हादसा वडोदरा के हरनी झील में हुई. अभी 18 जनवरी के दिन हुए इस हादसे का कारण स्पष्ट नहीं है. स्थानीय अधिकारियों के अनुसार हादसे के दौरान नाव पर 27 सवार थे. वहीं, गुजरात के सीएम भूपेन्द्र रजनीकांत पटेल ने घटना पर जांच करने के लिए एक टीम गठित की है. और जांच टीम का नेतृत्व कर रहे जिलाधिकारी से हादसे के पूरी रिपोर्ट 10 दिनों के भीतर देने को कहा.
(ये कॉपी हमारे यहां इंटर्नशिप कर रहे सत्यम कुमार ने लिखी है.)