नई दिल्ली: निजी हथियार रखने का एक सहज आकर्षण होता है लेकिन यह शौक आसानी से पूरा नहीं होता. इसके लिए इच्छुक व्यक्ति द्वारा सुरक्षा के कारणों को आगे करके एक प्रक्रिया का पालन करना होता है. यदि वह उन इच्छित नियमों को पूरा करता है तभी उसे बंदूक का अन्य निजी हथियार खरीदने हेतु लाइसेंस मिलता है.
भारत में बंदूक और बंदूक से संबंधित व्यवस्था को शस्त्र अधिनियम, 1959 (The Arms Act, 1959) और शस्त्र नियम, 1962 (Arms Rules, 1962) द्वारा नियंत्रित किया जाता है. भारत में बंदूक लाइसेंस पाना एक मुश्किल प्रक्रिया है, क्योंकि इसके लिए आपके पास एक ठोस कारण होना चाहिए. ठोस कारण होने पर ही किसी व्यक्ति को बंदूक का लाइसेंस प्राप्त होता है.
The Arms Act, 1959 के अध्याय II और अध्याय III के तहत, देश के आम लोगो को सिर्फ एनपीबी (Non Prohibited Bore/NPB) बंदूक ही ले सकते है. Prohibited Bore बंदूक सिर्फ रक्षा कर्मियों (defence personnel) को ही जारी किया जाता है.
Prohibited Bore बंदूक गृह मंत्रालय या केंद्र सरकार द्वारा जारी किए जाते है और एनपीबी बंदूक राज्य सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए जाते है. एनपीबी बंदूक की लाइसेंस सिर्फ तीन साल के लिए जारी किए जाते है और हर तीन साल बाद इसका नवीनीकरण (renewal) होता है.
बंदूक का लाइसेंस लेने के लिए कई शर्तों को पूरा करना होता है जैसे की भारतीय नागरिक होना, कम से कम 21 वर्ष की उम्र होनी चाहिए (स्पोर्ट्स गन के लिए कम से कम 16 वर्ष की उम्र होनी चाहिए), दिमागी हालत ठीक होनी चाहिए, बंदूक का लाइसेंस रखने का एक उचित कारण होना चाहिए जैसे की आत्मरक्षा, सामान्य सुरक्षा, खेल-शूटिंग और फसल सुरक्षा, आदि.
जब किसी व्यक्ति को जान का खतरा होता है, तो वह आत्मरक्षा के लिए बंदूक के लाइसेंस हेतु आवेदन कर सकता है, जब किसी व्यक्ति को किसी जगह या किसी चीज की सुरक्षा करनी होती है, तब भी बंदूक का लाइसेंस लिया जा सकता है जैसे की बैंक की सुरक्षा, स्कूल की सुरक्षा या किसी ख़ास व्यक्ति की सुरक्षा जैसे की कोई नेता या व्यवसायी (Businessman), फसल की सुरक्षा और खेल के लिए भी बंदूक का लाइसेंस लिया जा सकता है.
भारत में रह रहे विदेशी नागरिक को भी बंदूक का लाइसेंस मिल सकता है लेकिन, इसके लिए उसे भारत का स्थाई निवासी होना जरूरी है और बंदूक का लाइसेंस लेने का उचित कारण भी होना चाहिए.
बंदूक का लाइसेंस पाने के लिए जिला मजिस्ट्रेट (District Magistrate) या एसपी (SP) के कार्यालय में जाकर आवेदन देना पड़ता है या ऑनलाइन आवेदन भी दिया जा सकता है. आवेदन देने के बाद उसे एसपी के कार्यालय भेजा जाता है, एसपी में जाने के बाद उसे स्थानीय पुलिस स्टेशन भेजा जाता है. स्थानीय पुलिस स्टेशन में आवेदन जाने के बाद पुलिस वेरिफिकेशन होता है, पुलिस वेरिफिकेशन के बाद उसकी रिपोर्ट डीएम को भेजी जाती है.
रिपोर्ट के आधार पर DM तय करते हैं की आवेदक को बंदूक की लाइसेंस देनी है कि नहीं, सिर्फ रिपोर्ट सही होने पर ही बंदूक का लाइसेंस मिल सकता, रिपोर्ट सही होने के बावजूद अगर डीएम को लगे कि बंदूक का लाइसेंस नहीं देना चाहिए तो नहीं भी दे सकते हैं.
बंदूक का लाइसेंस लेने के लिए सरकारी पहचान प्रमाण जैसे की आधार कार्ड, वोटर कार्ड या कोई और सरकारी पहचान पत्र, पते का सबूत जैसे की बिजली का बिल या ऐसे ही कोई और बिल या डॉक्युमेंट, आयु प्रमाण पत्र जिससे कि पता चले की उम्र कम से कम 21 वर्ष है (स्पोर्ट्स गन के लिए कम से कम 16 वर्ष की उम्र), चरित्र प्रमाण पत्र ताकि पता चले की बंदूक का लाइसेंस लेने वाले व्यक्ति के ऊपर कोई आपराधिक केस तो नहीं चल रहा है, आय की जानकारी ताकि पता चले की आवेदक टैक्स भरता है की नहीं (टैक्स भरने वाले को ज़िम्मेदार नागरिक माना जाता है), अपनी संपत्ति के बारे में और किसी से उधार या लोन लिए है तो उसके बारे में बताना भी ज़रूरी है.
बंदूक का लाइसेंस मिलने के बाद हथियार खरीदना पड़ता है. किसी भी रजिस्टर्ड दुकान से बंदूक ख़रीदा जा सकता है. बंदूक ख़रीदने के बाद उसकी जानकारी स्थानीय पुलिस स्टेशन में देनी पड़ती है.
बंदूक और बंदूक का लाइसेंस मिलने के बाद उसके गोली की जानकारी भी रखनी पड़ती है, बंदूक जिस काम के लिए लिया गया है उसे सिर्फ उस काम के लिए उपयोग किया जा सकता है. अगर इसका उपयोग किस गैरकानूनी काम के लिए होगा तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.