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जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने In-House जांच शुरू की, आगे की कार्रवाई को लेकर पूर्व ASG ने की महत्वपूर्ण टिप्पणी

सीजेआई ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ इन-हाउस जांच शुरू की है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपनाई गई इन-हाउस जांच प्रक्रिया के तहत, जज के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के तीन जज वाली कमेटी का गठन किया जाएगा.

Delhi HC Justice Yashwant verma, Supreme Court

Written by Satyam Kumar |Published : March 21, 2025 4:54 PM IST

हाल ही में जस्टिस यशवंत वर्मा के घर आग लग गई थी, और उस समय जस्टिस वर्मा घर पर नहीं थे. उनके घर वालों ने फायर बिग्रेड को घटना की जानकारी दी. आग बुझाने पहुंची फायर बिग्रेड की टीम को उनके घर से कथित तौर पर 15 करोड़ रूपये की राशि मिली. दमकल टीम  ने अपने उच्च अधिकारियों को इस बात की जानकारी दी और मामला सीजेआई संजीव खन्ना तक पहुंची. सीजेआई ने गुरूवार की शाम एक बैठक बुलाई और बैठक के बाद सरकार को एक सिफारिश भेजी, जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को दोबारा से इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने की मांग की गई थी. कॉलेजियम की बैठक के बाद ही राज्यसभा में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया भी शुरू की गई है. इस दौरान सीजेआई ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ इन-हाउस जांच शुरू की है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपनाई गई इन-हाउस जांच प्रक्रिया के तहत, जज के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के तीन जज वाली कमेटी का गठन किया जाएगा. कमेटी की रिपोर्ट के आधार ही जज के खिलाफ क्या एक्शन लेना है, यह तय किया जाएगा.

पूर्व SCBA प्रेसिडेंट ने बात, आगे की संभावित कार्रवाई

जस्टिस यशंवत वर्मा को लेकर उठ रहे सवालों पर पूर्व एडिशनल सॉलिसीटर जनरल और SCBA के प्रेजिडेंट रहे सीनियर एडवोकेट विकास सिंह से एएनआई और जी न्यूज(Zee News) से विस्तार मे बातचीत की है.

सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने कहा कि

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जज का दिल्ली से इलाहाबाद ट्रांसफर किया जाना अपने आप में कोई समाधान नहीं है. करप्शन के आधार पर अगर यह फैसला लिया गया है तो उनसे इस्तीफा लिया जाना चाहिए. अगर In house enquiry के दौरान जस्टिस यशंवत वर्मा का कोई संतोषजनक जवाब नहीं आता( वैसे भी उनके लिए कोई स्पष्टीकरण देना मुश्किल होगा) तो उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहना चाहिए.

पूर्व SCBA प्रेसिडेंट ने आगे कहा कि तब तक जस्टिस वर्मा रिजाइन न करें, उन्हें न्यायिक काम से दूर रखा जाना चाहिए. वहीं इससे पहले करप्शन के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट के तीन जजों को इस्तीफा दिया था. बार एंड बेंच को ये फैसला लेना होगा कि जितने भी न्यायिक क्षेत्र में दागी है , उन्हें बाहर किया जाना चाहिए. बार एंड बेंच को सोचना होगा कि कैसे लोगों का विश्वास न्यायपालिका में कायम रखने की कोशिश करें ताकि लोगों को यह न लगे कि जस्टिस मिल नहीं रहा है बल्कि जस्टिस बिकाऊ है.

कॉलेजियम से जजों का चयन बेहतर

NJAC के मुकाबले जजों की नियुक्ति के लिए मौजूदा कॉलेजियम सिस्टम ही बेहतर सिस्टम है. लेकिन इसमे भी पारदर्शिता की ज़रूरत है. जज इसमे सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं. जस्टिस यशवंत वर्मा को मैं व्यक्तिगत तौर पर बहुत अच्छा जज समझता था. वो जानकार है, बेहतर फैसला लेते है. अगर कोई करप्ट जज होता है तो वकीलों के बीच इसको लेकर चर्चा हो जाती है. लेकिन जस्टिस वर्मा को लेकर ऐसी कोई बात नहीं आई, उनके बारे में कोई अंदेशा नहीं था, लेकिन इस एक्सपोज के चलते हमारा सिस्टम एक बेहतर जज खो देगा, ये दुःख की बात है.