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'आपकी जमीनें लेना सरकारों के लिए भी आसान नहीं रही', सुप्रीम कोर्ट ने अधिग्रहण से पहले इन सात नियमों का पालन जरूरी बताया

कलकत्ता नगर निगम द्वारा पार्क बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण करने के फैसले को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को जमीन लेने के लिए संविधान के अनुच्छेद 300ए की प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य बताया है.

जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया, सांकेतिक चित्र ( पिक क्रेडिट: Freepik)

Written by Satyam Kumar |Published : May 17, 2024 12:36 PM IST

Interest Of Land Owners: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जमीन मालिकों (Land Owners) के हित को दोबारा से मजबूत करने को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. शीर्ष न्यायालय ने राज्य या सरकार को आपकी जमीन अधिग्रहण करने से पहले, संविधान के अनुच्छेद 300ए के अनुसार, बताए गए सात नियमों (निर्देशों) का पालन अनिवार्य किया है. साथ ही राज्य को जमीन अधिग्रहण केवल जन कल्याण कार्यों के लिए ही करने की हिदायत दी है. दूसरे शब्दों में, किसी प्राइवेट पार्टी के लिए 'राज्य या केन्द्र सरकार' को अधिग्रहण करने से बचना चाहिए. बेंच ने संपत्ति के अधिकार को संविधान प्रदत मूलभूत अधिकार की तरह ही देखने की बात कहीं है.

जमीन के लिए सात नियमों का पालन जरूरी

सुप्रीम कोर्ट में, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने जमीन अधिग्रहण को लेकर राज्य को ये निर्देश दिए हैं. बेंच ने राज्य को जमीन अधिग्रहण करने के लिए सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं.

वे सात कदम इस निम्नलिखित हैं:

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  1. नोटिस का अधिकार: सबसे पहले राज्य को जमीन के मालिक को अपनी इच्छा बतानी होगी कि वे उनकी जमीन लेने को इच्छुक हैं.
  2. सुनवाई का अधिकार: जमीन मालिकों की आपत्तियों को सुनना राज्य की जिम्मेदारी है.
  3. तर्क संगत कारणों का अधिकार: राज्य, जमीन मालिकों को जमीन अधिग्रहण करने के लिए कारणों से भी अवगत कराएंगे.
  4. जन कल्याण या सार्वजनिक कार्य के लिए अधिग्रहण: राज्य को जमीन अधिग्रहण करने का हक केवल जन कल्याणकारी योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए ही है.
  5. पुर्नवास और पुर्नस्थापन का अधिकार: जिन लोगों की जमीन राज्य लेना चाह रही है, उन्हें दोबारा से स्थापित करवाना राज्य की जिम्मेदारी है.
  6. समय अवधि का पालन करें: अदालत ने स्पष्ट किया कि राज्य अधिग्रहण की प्रक्रिया एक कय सीमा के अंदर पूरा करें.
  7. निष्कर्ष का अधिकार: कार्यवाही का अंतिम निष्कर्ष से भी जमीन मालिकों को अवगत कराना जरूरी है.

बेंच ने कहा,

"संविधान के अनुच्छेद 300ए का विभिन्न जजमेंट में, निकले आशय के अनुसार राज्य किसी व्यक्ति से उनकी जमीन स्थापित कानून के तहत ही ले सकती है. राज्य को अनुच्छेद 300ए में दी प्रक्रिया के तहत ही जमीन अधिग्रहण करने की कार्यवाही करनी चाहिए."

बेंच ने ये भी कहा,

"संपत्ति के अधिकार की सुरक्षा के लिए प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों का अस्तित्व और उनका पालन महत्वपूर्ण है क्योंकि वे अधिग्रहण की प्रक्रिया में निष्पक्षता, पारदर्शिता, प्राकृतिक न्याय और शक्ति का गैर-मनमाना प्रयोग सुनिश्चित करते हैं."

अदालत ने ये कहकर कलकत्ता नगर निगम द्वारा जमीन अधिग्रहण करने के फैसले को खारिज की. कलकत्ता एमसीडी ने नगर नियम अधिनियम, 1980 की धारा 352 के तहत, पार्क बनाने के लिए लोगों की जमीन को अधिग्रहित किया गया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने धारा 352 को संविधान के आर्टिकल 300ए भिन्न पाते हुए कलकत्ता नगर निगम के इस फैसले को खारिज किया है.