हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने 39 वकीलों को सीनियर एडवोकेट बनाया है. सीनियर एडवोकेट की नाम की घोषणा से पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ से मिलकर 'सीनियर एडवोकेट' बनाने की प्रक्रिया की समीक्षा करने की मांग की. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सीजेआई के समक्ष ये मामला सीनियर एडवोकेट के पद पर वकीलों को नामित करने की प्रक्रिया की समीक्षा करने के लिए उठाया गया है ना कि इसमें किसी नाम को शामिल करने या उसे हटाने की मांग की गई है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक,सीनियर एडवोकेट की सूची में ह्यूमन राइट्स एडवोकेट वृंदा ग्रोवर को शामिल नहीं करने की बात की चर्चा उठी. वृंदा ग्रोवर ने भी सीनियर एडवोकेट के लिए आवेदन दिया था, लेकिन उनका नाम इंटरव्यू लिस्ट में नहीं आया.
सेंट स्टीफंस और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र 60 वर्षीय ग्रोवर के पास 35 वर्षों से अधिक का अनुभव है. 2013 के मुजफ्फरपुर दंगों में यौन हिंसा से लेकर भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत तक, उन्होंने महिला अधिकारों से जुड़े मामलों को उठाया है. 2023 में, संयुक्त राष्ट्र के भीतर एक अंतर-सरकारी निकाय, मानवाधिकार परिषद ने ग्रोवर को यूक्रेन में रूस द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करने वाले तीन-सदस्यीय पैनल में नियुक्त किया.
2017 के फैसले से पहले, वकीलों को सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित करने का फैसला न्यायाधीशों के बीच गुप्त मतदान और बहुमत के नियम के बाद लिया जाता था. जिसे लेकर साल 202 में एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट जस्टिस संजय कौल ने तर्क दिया फुल कोर्ट में सिक्रेट वोटिंग से सीनियर एडवोकेट को नामित करना एक अपवाद होना चाहिए ना कि नियम.
सीनियर एडवोकेट नामित करने में अपनाई जानेवाली प्रक्रिया में आर्टिकल पब्लिकेशन भी शामिल है, जिस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कुछ अच्छे वकील है, जो बेहतर आर्टिकल नहीं लिख सकते हैं. ऐसे में इस सीनियर एडवोकेट के चयन के इस मानदंड को हटाया जाना चाहिए.
तुषार मेहता ने प्रक्रिया में सुझाव को लेकर ये भी बताया कि चयनित वकीलों को साल भर सीक्रेट तरीके से वॉच किया जाए, उसके बाद उसका नाम शामिल किया जा सकता है.
14 अगस्त के नामांकन में, सुप्रीम कोर्ट ने 39 वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया, जिनमें असम के अतिरिक्त महाधिवक्ता और भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली, भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज, पंजाब के अतिरिक्त महाधिवक्ता शादान फरासत, उत्तर प्रदेश के पूर्व स्थायी वकील एम आर शमशाद, एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड डॉ अनिंदिता पुजारी, अपर्णा भट, के परमेश्वर और अशोक पाणिग्रही शामिल हैं.