13 वरिष्ठ वकीलो ने सीजेआई संजीव खन्ना (CJI Sanjiv Khanna) को पत्र लिखकर इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने के लिए CBI को निर्देश देने की मांग की है. यह पत्र न्यायाधीश यादव के एक विवादास्पद भाषण के संदर्भ में लिखा गया है, जो उन्होंने विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक कार्यक्रम में दिया था. हालांकि, वकीलों की ये प्रतिक्रिया जस्टिस शेखर यादव (Justiec Shekhar Yadav) के कॉलेजियम को सौंपे अपने जबाव पर आया है, जिसमें उन्होंने अपने बयानों को सही ठहराया है. वकीलों ने मीडिया रिपोर्ट को आधार बनाते हुए सीजेआई से जस्टिस शेखर यादव सीबीआई जांच के आदेश देने की मांग की.
यह पत्र मुख्य न्यायाधीश (CJI) सहित अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों को सुप्रीम कोर्ट के महासचिव (Secretary General) के माध्यम से माध्यम से भेजा गया है. पत्र में कहा गया है कि सीजेआई भाषण का स्वतः संज्ञान लें और मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए, CBI को न्यायाधीश शेखर कुमार यादव के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दें. पत्र में दावा किया गया कि 8 दिसंबर के दिन कार्यक्रम में उन्होंने समान नागरिक संहिता (UCC) पर बोलते हुए मुसलमानों के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणियां की थीं. इस भाषण के दौरान, न्यायाधीश ने "कठमुल्ला" जैसे अपमानजनक शब्द का प्रयोग किया, जो मुसलमानों के खिलाफ एक derogatory slur है. पत्र में कहा गया है, "न्यायाधीश यादव का भाषण नफरत फैलाने का एक प्रयास प्रतीत होता है, जिसमें कोई शैक्षणिक या कानूनी आधार नहीं था. "
सीनियर एडवोकेट ने 1991 के सर्वोच्च न्यायालय के के वीरास्वामी मामले में फैसले का उल्लेख करते हुए, सीजेआई से जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश देने की मांग की. के वीरास्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ कोई आपराधिक मामला बिना सीजेआई के पूर्व परामर्श के दर्ज नहीं किया जा सकता. वहीं, उक्त मामले में सरकार को भी सीजेआई की राय पर उचित विचार करना चाहिए.
बताते चलें कि इन 13 वकीलों में इंदिरा जय सिंह,अस्पी चिनॉय, नवरोज़ सीरवई, आनंद ग्रोवर, चंदर उदय सिंह, जयदीप गुप्ता, मोहन वी. कटारकी, शोएब आलम, आर. वैगई, मिहिर देसाई, जयंत भूषण शामिल हैं.