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One Nation-One Election: ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के सामने आज पेश हुए लीगल एक्सपर्ट्स, विधेयक को लेकर देंगे अपनी राय

पूर्व कानून आयोग (Former Law Commission of India chairperson) के अध्यक्ष रितु राज अवस्थी ने मंगलवार को संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष पेश होकर विधेयकों पर चर्चा की, जो लोकसभा और विधानसभा चुनावों के एक साथ आयोजन कराने को लेकर है.

Written by Satyam Kumar |Updated : February 25, 2025 1:26 PM IST

भारत में चुनावी प्रक्रिया में सुधार लाने के लिए 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' (ONOE) कानून लाने को लेकर विचार हो रही है. यह क्यों महत्वपूर्ण है, इसे समझने के लिए कई विशेषज्ञों और कानूनी जानकारों को आमंत्रित किया गया है. 25 फरवरी को नई दिल्ली में एक संयुक्त संसदीय समिति की बैठक हुई, जिसमें पूर्व कानून आयोग के अध्यक्ष रितु राज अवस्थी ने भाग लिया. इस बैठक में कई लीगल एक्सपर्ट्स और शेयरहोल्डर्स शामिल हुए.

वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर लीगल एक्सपर्ट्स की बैठक

पूर्व कानून आयोग (Former Law Commission of India chairperson) के अध्यक्ष रितु राज अवस्थी ने मंगलवार को संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष पेश होकर विधेयकों पर चर्चा की, जो लोकसभा और विधानसभा चुनावों के एक साथ आयोजन कराने को लेकर है. पूर्व जस्टिस और लॉ कमीशन के पूर्व चेयरमैन ऋतुराज अवस्थी ने बिल का समर्थन किया और उन्होंने अपने प्रेजेंटेशन में कहा कि एक साथ चुनाव कराए जाने से देश के संसाधन और पैसे की बड़ी बचत होगी. आईएएस अधिकारी नितेन चंद्रा, जो उच्चस्तरीय कोविंद समिति के सचिव  हैं, ने भी समिति के समक्ष अपने विचार साझा किया. आईएएस अधिकारी नितेन चंद्रा ने कहा कि ये बिल असंवैधानिक कैसे हो सकता है. यहां तो चुनाव का टाइम फ्रेम तय करने की बात है और संविधान में ये कही नही मेंशन है कि टाइम फ्रेम नही दिया जा सकता. यह समिति चुनावों की प्रक्रिया को सरल बनाने के उद्देश्य से बनाई गई है. पूर्व मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित (Former CJI UU Lalit) भी इस समिति की दिनभर की बैठक में शामिल हुए.

विपक्ष ने उठाया सवाल

एक देश एक चुनाव को लेकर बने जेपीसी की आज की बैठक में प्रियंका गांधी ने बैठक में एक बार फिर सवाल किया कि एक साथ चुनाव कराने के लिए क्या इतना evm है हमारे पास?  इतना EVM कहां से आएगा? Evm की रखरखाव कैसे होता है? आखिरकार एक साथ चुनाव कैसे कराएंगे? उसका क्या मेथड निकाला है? जानकारी के अनुसार बैठक में अधिकतर सदस्यों ने मिड टर्म पोल के बारे में सवाल किया. सवाल किया कि अगर कही मिड टर्म चुनाव होता है और फिर किसी को बहुमत नहीं मिलती और हंग की स्थिति बने तब वैसी स्थिति में क्या होगा? एलजेपी सांसद शाम्भवी चौधरी ने पूछा कि एक बार चुनाव का टेन्योर फिक्सिंग होने पर जनता के प्रति जवाबदेही पर असर नहीं पड़ेगा? एक बार सरकार बनने के बाद लोगों के प्रति सरकारों के अकाउंटेबिलिटी कैसे तय कर पाएंगे? इस पर लॉ मिनिस्ट्री के अधिकारियों ने कहा की इन सबका जवाब तैयार किया जाएगा.

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जेपीसी के पास है वन नेशन-वन इलेक्शन विधेयक

वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर अब तक हुए प्रोग्रेस की बात करें, तो मोदी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था. इस समिति ने अपने रिपोर्ट में इस विचार का समर्थन किया है. समिति की सिफारिशों के बाद विधेयक लोकसभा में पेश किया गया. जब केन्द्रीय कानून राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने के से जुड़े ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ को लोकसभा में रखा था, तब सदन में इस विधेयक को लाने के पक्ष में 269 वोट और विरोध में 198 वोट पड़े थे. सदन की मंजूरी मिलने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 39 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee) का गठन किया है, जिसका नेतृत्व बीजेपी सांसद और पूर्व कानून मंत्री पीपी चौधरी कर रहे हैं. ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC)  ने वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर अब तक दो बैठकें आयोजित की हैं.

(खबर एजेंसी इनपुट से है)