आज केन्द्रीय कानून राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने के प्रावधान वाले ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ को निचले सदन यानि लोकसभा में रखा. देश में एक साथ चुनाव कराने को लेकर आए इस विधेयक के पक्ष में 269 वोट और विरोध में 198 वोट पड़े. सदन में इस विधेयक को रखते वक्त केन्द्रीय कानून मंत्री ने 'वन नेशन वन इलेक्शन' कानून को लेकर अपना प्रस्ताव रखा. अपने वक्तव्य में केन्द्रीय कानून मंत्री ने फेडरलिज्म, संसद की शक्तियां, संविधान का उल्लंघन के दावों पर का भी जबाव दिया. आइये जानते हैं सदन में वन नेशन- वन इलेक्शन प्रस्ताव रखते वक्त केन्द्रीय मंत्री ने क्या कुछ कहा...
केन्द्रीय कानून मंत्री ने वन नेशन-वन इलेक्शन विधेयक को सदन के पटल पर रखते हुए कहा कि यह विधेयक संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर के अनुरूप है. वन नेशन-वन इलेक्शन विधेयक ना संविधान की सर्वोच्चता, ना ही फेडरल स्ट्रक्चर, ना ही ज्यूडिशियल रिव्यू और ना ही देश के सेकुलर नेचर को चुनौती देता है. केन्द्रीय कानून मंत्री ने आगे कहा कि यह संविधान की आर्टिकल 372 संविधान को चुनाव से जुड़े मामले को संशोधित करने की शक्ति देता है. आगे कानून मंत्री ने कहा कि संविधान की सातवी अनुसूची, संघ सूची की प्रविष्टि 72 भी संसद को संसद और राज्य विधानमंडल के चुनावों पर कानून बनाने का अधिकार देती है.
विधेयक के दौरान कानून मंत्री ने बाबा साहबे भीमराव अंबेडकर के द्वारा संविधान सभा में कहे कथन का जिक्र करते हुए कहा कि संविधान के अनुसार केंद्र और राज्यों के बीच विधायी और कार्यकारी शक्तियों का विभाजन होता है. यह विभाजन किसी केंद्रीय कानून द्वारा नहीं, बल्कि संविधान द्वारा निर्धारित किया गया है. संविधान संघीयता (Federalism) की नींव है, जो केंद्र और राज्यों के बीच संतुलन बनाए रखता है.
VIDEO | 'One Nation One Election' Bills introduced in Lok Sabha with 269 voting in favour and 198 against. #OneNationOneElection#ParliamentWinterSession2024
(Source: Third Party) (Full video available on PTI Videos - https://t.co/n147TvrpG7) pic.twitter.com/1ZS1tfTPUt — Press Trust of India (@PTI_News) December 17, 2024
वन नेशन-वन इलेक्शन विधेयक को सदन में लाने के विरोध में 198 सांसदों अपना वोट रखा है.वहीं, सांसद एनके प्रेमचंद्रन वन नेशन-वन इलेक्शन विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह विधेयक संघवाद की मूल भावना का उल्लंघन करता है. विधेयक के उद्देश्य की व्याख्या विधेयक की सामग्री को संतुष्ट नहीं करती है. सांसद ने कहा कि विधानसभा के चुनावी प्रक्रिया में भारी संरचनात्मक परिवर्तन प्रस्तावित किए गए हैं. ऐसे विधेयक को पेश करने से पहले सभी राज्यों से परामर्श किया जाना चाहिए. प्रेमचंद्रन ने वन नेशन-वन इलेक्शन विधेयक के खिलाफ अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है.
बता दें कि वन नेशन-वन इलेक्शन विधेयक के प्रस्ताव को सदन में बहुमत मिलने के बादअब इस विधेयक को विचार के लिए सदन ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) के पास रखा जाएगा.