MP CJ Ravi Malimath: हाल ही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ रिटायर हुए. चीफ जस्टिस के सम्मान में फेयरवेल आयोजन किया गया. समारोह के दौरान चीफ जस्टिस रवि मलिमथ ने अपने जिन अनुभव, चुनौतियों को साझा किया, वह बेदह प्रेरणादायक है. फेयरवेल की चर्चा तो मध्य प्रदेश बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डी के जैन के भाषण से भी हो रही है. एसोसिएशन के प्रेसिडेंट ने फेयरवेल में ही वकीलों को होने वाली परेशानी और न्यायधीशों को उस पर ध्यान रखने की गुजारिश कर डाली. आइये जानते हैं कि सम्मान में रखे गए समारोह में क्या-क्या हुआ...
सेवानिवृत चीफ जस्टिस रवि मलिमथ ने अपने कार्यकाल के दिनों को साझा किया. चीफ जस्टिस ने कहा, मुझे चीफ जस्टिस बनाने के लिए कर्नाटक से उत्तराखंड भेजा गया, लेकिन किसी कारणवश मैं वहां चीफ जस्टिस नहीं बना. फिर उत्तराखंड से हिमाचल प्रदेश और वहां से मुझे मध्य प्रदेश भेजा गया, जहां मुझे सीजे बनने का मौका मिला. सेवा के दौरान मुझे कई परेशानियों का सामना करना पड़ा जिन्होंने मेरे करियर को प्रभावित करने को कोशिश की. मेरे बहुत से दुश्मन है और मुझे इस बात पर गर्व है.
कार्यक्रम आगे बढ़ा, एमपी हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डी के जैन को भी अपनी बातें रखने का मौका मिला. आगे बढ़ने से पहले बताते चले 13 मई को एमपी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट का चुनाव हुआ, डी के जैन चुने गए हैं. 21 मई को उन्होंने अपना कार्यभाल संभाला है.
एमपी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डी के जैन ने अपने भाषण का केन्द्र वकीलों की परेशानी और जजों के रवैये पर फोकस रहा. जैन ने कहा कि हाईकोर्ट के जजों का ध्यान मुकदमों के निपटारे पर होता है, बिना इस बात पर जोड़ दिए कि मामले में न्याय हो पा रहा है कि नहीं! उदाहरण के तौर पर, 15 साल पुराने मामले का हवाला दिया कि इस मामले में बेंच ने अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान आनन-फानन में दर्ज करते हैं, वहीं वचाब पक्ष को अपने गवाह पेश करने के लिए उचित समय तक नहीं दिया गया.
आज तक से बात करते हुए डी के जैन ने स्पष्ट किया, उनके बयान जजों को उनके दायित्वों का एहसास दिलाने के लिए है, उनके द्वारा जल्दबाजी में लिए गए फैसले वादियों को कोई लाभ नहीं पहुंचा रहा है.
जैन ने आगे कहा, अधिवक्ताओं ने नीतिगत मुद्दों को लेकर न्यायधीश से आपत्ति जताई थी. कार्रवाई स्वरूप पूरे वकीलों के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी कर दिया गया था. बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट ने मांग किया कि अब समय आ गया है कि न्यायधीशों के आचरण लिए भी कुछ कानून होने चाहिए, एक उचित मसौदा तैयार किया जाना चाहिए.
हालांकि चर्चा ये भी थी कि बार एसोसिएशन ने अधिवक्ताओं से फेयरवेल में जाने से मना किया था, और फिर ये वाक्या हुआ. इन सब के बीच चीफ जस्टिस रवि कुमार मलिमथ अपने साथियों से विदा लिए, खासकर फेयरवेल में दिए गए उनके भाषण न्यायिक सेवा में आने वाले नवांगतुकों के लिए प्रेरणादायक साबित होंगे.