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जस्टिस की ग्रेच्युटी भुगतान की याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान, चीफ ऑडिटर को जारी किया नोटिस

हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस ने अपनी याचिका में प्रधान महालेखाकार, ग्वालियर के पिछले साल 13 जून के आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें उन्हें उप लोकायुक्त के रूप में सेवा देने पर ग्रेच्युटी भुगतान करने से इंकार कर दिया गया है.

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (सौजन्य से : एमपी उच्च न्यायालय की ऑफिसियल वेबसाइट)

Written by My Lord Team |Published : January 12, 2025 11:25 PM IST

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश एवं पूर्व उप लोकायुक्त उमेश चंद्र माहेश्वरी की ओर से दायर याचिका पर प्रधान महालेखाकार, ग्वालियर (Chief Auditor, Gwalior) को नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट द्वारा यह नोटिस माहेश्वरी द्वारा अपने ग्रेच्युटी भुगतान के लिए निर्देश मांगने के संबंध में जारी किया गया है. जस्टिस पद से रिटायर होने के बाद जस्टिस माहेश्वरी उप-लोकायुक्त बने थे. उनकी याचिका के अनुसार माहेश्वरी को 28 जून, 2016 से मध्यप्रदेश का उप लोकायुक्त नियुक्त किया गया था और उन्होंने 27 जून, 2022 तक अपनी सेवाएं दीं.

प्रधान महालेखाकार को ग्रेच्युटी मामले में नोटिस

चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने बुधवार को पूर्व न्यायाधीश की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकृति देते हुए यह नोटिस जारी किया है. पूर्व न्यायाधीश के वकील साकेत अग्रवाल ने कहा कि याचिका में प्रधान महालेखाकार, ग्वालियर के पिछले साल 13 जून के आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें उनके मुवक्किल को उप लोकायुक्त के रूप में ग्रेच्युटी भुगतान को अस्वीकार कर दिया गया था.

सरकार की मंजूरी के बावजूद ग्रेच्युटी नहीं!

वकील ने 'पीटीआई-भाषा' से बात करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश सरकार और राज्यपाल ने पहले ही भुगतान को मंजूरी दे दी है, लेकिन प्रधान महालेखाकार ने लोकायुक्त (उप-लोकायुक्त) अधिनियम, 1981 की धारा 5(5) और उच्च न्यायालय न्यायाधीश (वेतन और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1954 के प्रावधानों के विपरीत आदेश जारी किया. अग्रवाल ने कहा कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और लोकायुक्त कार्यालय के सचिव को भी इस संबंध में नोटिस जारी किया है. उन्होंने बताया कि उप लोकायुक्त के पद पर काम करने के लिए ग्रेच्युटी के भुगतान के लिए प्रासंगिक नियमों के तहत ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है, इसलिए याचिकाकर्ता को कानून के अनुसार भुगतान किया जाना चाहिए.

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(खबर पीटीआई भाषा से है)