Justice Yashwant Varma: जस्टिस यशवंत वर्मा को आवंटित आवास में कैश बरामद होने के मामले में सीजेआई संजीव खन्ना ने दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय को चिट्ठी लिखी. इस चिट्ठी में सीजेआई ने चीफ जस्टिस से कहा कि वे संबंधित जस्टिस से लिखित में स्पष्टीकरण मांगे, साथ ही जस्टिस संजीव खन्ना ने कुछ सवाल भी निर्धारित किए. सीजेआई के निर्देशानुसार, चीफ जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय ने लिखित में जबाव दिया. बता दें कि इस जबाव के आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने वेबसाइट पर जबाव और फोटो-वीडियो भी शेयर किया है. आइये जानते हैं इस पूरे मामले को...
सीजेआई संजीव खन्ना ने दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय को चिट्ठी लिखकर जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए. जस्टिस संजीव खन्ना ने कुछ सवालों को स्पष्ट करते हुए जबाव मांगने को भी कहा है. सीजेआई ने रिपोर्ट सौंपने के लिए टाइमलाइन सेट करते हुए जस्टिस यशवंत वर्मा को 22 मार्च के दोपहर 12:00 बजे तक लिखित उत्तर देने का अनुरोध किया गया.
रिपोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा से पूछा गया है कि
जस्टिस यशवंत वर्मा से अनुरोध किया गया है कि वे अपने मोबाइल फोन को नष्ट न करें और न ही किसी भी बातचीत, संदेश या डेटा को हटाएं या संशोधित करें. साथ ही पिछले छह महीनों के कॉल रिकॉर्ड की जानकारी भी मांगी गई है. सीजेआई ने जस्टिस यशवंत वर्मा के मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर से पिछले छह महीनों के कॉल रिकॉर्ड की जानकारी मांगने को भी कहा. इसके अलावे वे पिछले छह महीनों के दौरान उनके निवास पर तैनात उच्च न्यायालय रजिस्ट्री के आधिकारिक स्टाफ और सुरक्षा अधिकारियों के विवरण भी मांगे गए हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय ने जस्टिस वर्मा से लिखित में जबाव की मांग की. उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि 15 मार्च 2025 को, जब मैं होली की छुट्टियों के दौरान लखनऊ में था, मुझे दिल्ली के पुलिस आयुक्त श्री संजय अरोड़ा का फोन आया. उन्होंने मुझे 14 मार्च 2025 की रात 11:30 बजे एक स्टोर रुम में आग लगने की घटना के बारे में सूचित किया. इस घटना की गंभीरता को देखते हुए, मैंने अपने रजिस्ट्रार-कम-सचिव को घटना स्थल पर भेजा. रिपोर्ट के अनुसार, आग जिस कमरे में लगी, वह उपयोग में न आने वाली घरेलू वस्तुओं का भंडारण कक्ष था. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि यह कमरा सभी के लिए खुला था और लॉक नहीं किया गया था. जब रजिस्ट्रार ने कमरे का दौरा किया, तो उन्होंने देखा कि दीवारों पर दरारें थीं और आग के कारण दीवारें काली हो गई थीं.
दिल्ली हाई कोर्ट के गेस्ट हाउस में मुझसे मुलाकात के दौरान, आपने मुझे बताया था कि आप घटना के समय भोपाल में थे और आपको आग की सूचना बेटी से मिली. आपने सुरक्षा व्यवस्था पर चिंता व्यक्त की, क्योंकि भंडारण कक्ष गार्ड रूम के पास था. हालांकि, पुलिस आयुक्त की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि आग की घटना के बाद सुबह 15 मार्च को कुछ मलबा और आधे जले हुए सामान को हटा दिया गया था. इस घटना की गंभीरता को देखते हुए, आपसे (जस्टिस वर्मा) से अनुरोध है कि 22 मार्च 2025 तक इस घटना को लेकर लिखित उत्तर प्रदान करें. यह घटना न केवल सुरक्षा के दृष्टिकोण से चिंताजनक है, बल्कि इसके पीछे संभावित साजिश की आशंका भी जताई गई है.
सीजेआई संजीव खन्ना के निर्देशानुसार दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय ने जस्टिस यशवंत वर्मा से उनका जबाव मांगा. निर्देशों के अनुसार, जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपना जबाव चीफ जस्टिस को सौंपा है.
जस्टिस यशवंत वर्मा ने जबाव देते हुए लिखा कि, आगजनी की यह घटना उस समय हुई जब मैं और मेरी पत्नी मध्य प्रदेश में यात्रा कर रहे थे. केवल उनकी बेटी और वृद्ध मां घर पर थीं. आग लगने की सूचना सबसे पहले उनकी बेटी और निजी सचिव ने दी, जैसा कि रिकॉर्ड में दर्ज है. आगजनी की जगह एक स्टोर रूम था, जिसका उपयोग अक्सर फर्नीचर, बॉटल्स, और अन्य सामान को डंप करने लिए किया जाता था. यह कमरा मुख्य निवास से अलग है और इसे सभी के लिए खोला गया है. मैं स्पष्ट करता है कि यह कमरा उनके घर का हिस्सा नहीं है, जैसा कि कुछ मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है.
जस्टिस यशवंत वर्मा ने मीडिया पर आरोप लगाते हुए कहा है कि उसने बिना जांच-पड़ताल के ही उन्हें दोषी ठहराने का काम किया. उनका कहना है कि अगर मीडिया ने सही जानकारी इकट्ठा की होती, तो उन्हें इस तरह की अपमानजनक स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता. जब आग लगी, तो सभी कर्मचारियों और परिवार के सदस्यों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने का निर्देश दिया गया था. अग्निशामक दल ने आग बुझाने का कार्य किया और जब उन्होंने घटना स्थल पर लौटकर देखा, तो वहां कोई नकद या मुद्रा नहीं मिली. जस्टिस यशवंत वर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि न तो उन्होंने और न ही उनके परिवार के किसी सदस्य ने कभी भी इस स्टोर रूम में कोई नकद रखा. यह आरोप पूरी तरह से निराधार है. उनका कहना है कि यह विचार कि कोई व्यक्ति खुले और सार्वजनिक स्टोर रूम में नकद रखेगा, बिल्कुल असंभव है. आगजनी के बाद, परिवार ने स्थिति को समझने की कोशिश की. जब वे दिल्ली लौटे, तब उन्हें इस घटना की पूरी जानकारी दी गई. जब उन्होंने वीडियो और तस्वीरें देखीं, तो उन्हें एहसास हुआ कि यह एक साजिश हो सकती है. जस्टिस यशवंत वर्मा ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके सभी नकद निकासी बैंकिंग चैनलों के माध्यम से की जाती हैं और ये सभी लेनदेन पूरी तरह से रिकॉर्डेड हैं और किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं है.