अभी कुछ देर बाद भारत के अगले मनोनीत सीजेआई अपने पद की शपथ लेंगे और इस पद पर पहुंतने वाले वह देश के पहले बौद्ध होंगे. यह शपथ उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के द्वारा दिलाया जाएगा. बता दें कि जस्टिस बीआर गवई संजीव खन्ना की जगह लेंगे. इस ऐतिहासिक पल को लेकर जस्टिस गवई की माता कमलताई गवाई ने बताया कि उन्हें विश्वास है कि उनका बेटा प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्याय करेंगे. वहीं, उनके कार्यकाल को लेकर सेवानिवृत सीजेआई संजीव खन्ना ने भी काफी भरोसा जताया है.
जब कमलताई से पूछा गया कि वह अपने बेटे से CJI के रूप में क्या अपेक्षाएं रखती हैं, तो उन्होंने कहा कि मैं महसूस करती हूँ कि उनके कार्य देश के लिए सहायक होंगे और उनके निर्णय लोगों के हित में होंगे. कमलताई गवई ने कहा कि एक माँ के रूप में, मैं चाहती थी कि मेरे बच्चे अपने पिता के कदमों पर चलें और समाज की सेवा करें. उन्होंने यह भी कहा कि यह क्षण केवल उनके परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरे महाराष्ट्र के लिए गर्व का विषय है. जस्टिस गवई ने अपने करियर में कई पदों पर रहते हुए न्याय प्रदान किया है और उन्हें विश्वास है कि वह CJI के रूप में भी न्याय देंगे.
जस्टिस गवई ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अमरावती के एक साधारण स्थानीय स्कूल से प्राप्त की है. कमलताई ने बताया कि उनकी मेहनत और समर्पण के कारण वे अपनी शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त करने में सफल रहे. उन्होंने कहा कि मैं उनकी सफलता का श्रेय उनकी मेहनत और दृढ़ संकल्प को देती हूं. जस्टिस गवई समाज सेवा और चैरिटी में भी सक्रिय हैं. उनकी मा ने कहा कि वह जरूरतमंद लोगों की सहायता करते हैं, जैसे कि वित्तीय मदद और अस्पताल के खर्चों को उठाना. कमलताई ने कहा कि मुझे लगता है कि उन्हें गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा का पुरस्कार मिला है. जस्टिस गवई की छोटी बहन, कीर्ति अर्जुन, ने भी अपनी खुशी व्यक्त की. उन्होंने कहा कि यह केवल गवई परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरे अमरावती और महाराष्ट्र के लिए खुशी का क्षण है. कीर्ति ने अपने भाई की जिम्मेदारी को ईमानदारी से निभाने की पूरी उम्मीद व्यक्त की.
मनोनीत चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने रविवार को कहा कि वह सेवानिवृत्ति के बाद किसी भी तरह का पद नहीं लेंगे. उन्होंने संविधान को सर्वोच्च बताकर इस बहस पर विराम लगा दिया कि संसद या न्यायपालिका में से कौन श्रेष्ठ है. उन्होंने यहां अपने आवास पर पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में कहा कि शीर्ष अदालत के न्यायाधीश पहलगाम आतंकवादी हमले के बारे में सुनकर स्तब्ध थे. उन्होंने प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना के अनुपस्थित रहने के कारण उनके द्वारा बुलाई गई पूर्ण न्यायालय बैठक का भी जिक्र किया. इस दौरान जस्टिस गवई ने लंबित मामलों से लेकर अदालतों में रिक्तियों, न्यायाधीशों द्वारा राजनीतिक नेताओं सहित आम लोगों से मुलाकात और न्यायपालिका के खिलाफ बयानों जैसे मुद्दों पर बात की.