एडवोकेट से High Court Judge बनने की क्राइटेरिया, जानें चयन प्रक्रिया में किस आधार पर कॉलेजियम लेती है फैसला
हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति प्रक्रिया, हाई कोर्ट कॉलेजियम, जिसमें मुख्य न्यायाधीश और दो वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल हैं, द्वारा प्रस्ताव शुरू किया जाता है.
Written by Satyam Kumar|Published : May 6, 2025 2:11 PM IST
ज्यूडिशियरी में पारदर्शिता को लेकर उठते आशंकाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम कदम उठाया है. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से जज बनने की प्रक्रिया से जुड़े हर पहलू को पब्लिक डोमेन में रखा है, जिसके अनुसार कैसे हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस, जस्टिस और बार के नामित वकील का चयन किया जाता है. हाई कोर्ट कॉलेजियम इन नामों की सिफारिश में किन क्राइटेरिया पर विचार करती है, और तरह से जांच करती है. सुप्रीम कोर्ट ने इन सब पहलूओं पर जबाव दे दिया है.
एडवोकेट से हाई कोर्ट जज बनने की प्रक्रिया
हाई कोर्ट कॉलेजियम, जिसमें हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और दो जज शामिल होंगे. वे इस चयन प्रक्रिया को लीड करेंगे. बता दें कि हाई कोर्ट जज के रूप में चयनित होने के लिए सबसे ज्यादा वरीयता एडवोकेट को दी जाती है, वहीं Law Officer की भूमिका अनुपात: बेहद कम होती है.
हाई कोर्ट जज बनने की सिफारिश करने में बार के सदस्यों को न्यायिक अधिकारियों (Law Officer) की तुलना में अधिक वरीयता दी जाती है.
योग्यता और ईमानदारी (Merit and Integrity) प्रमुख मानदंड होंगे
बार के उम्मीदवारों की आयु सिफारिश की तारीख को 45-55 वर्ष के बीच होनी चाहिए (असाधारण योग्यता वाले व्यक्तियों को छूट दी जा सकती है).
वकील को पिछले 10 वर्षों से आयकर दाता होना चाहिए (यदि आयकर से छूट प्राप्त नहीं है).
पिछले पांच वर्षों में न्यूनतम 7 लाख रुपये प्रति वर्ष की औसत शुद्ध पेशेवर आय होनी चाहिए.
न्यायिक अधिकारियों के लिए, उनकी आयु 58½ वर्ष से कम होनी चाहिए जब पद खाली हो. इसके साथ ही, न्यायिक अधिकारियों की वरीष्ठता क्रम को भी ध्यान में रखा जाएगा.
परामर्श में सामाजिक विविधता और महिलाओं तथा अन्य हाशिए पर रहने वाले वर्गों के प्रतिनिधित्व पर भी जोर दिया गया। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सभी वर्गों को न्यायपालिका में उचित स्थान मिले.
इस चयन प्रक्रिया में हाई कोर्ट कॉलेजियम दूसरे जजों से भी सलाह-मशविरा लेती है. वहीं, लॉ ऑफिसर को सेलेक्ट करने में कॉलेजियम उनके जजमेंट स्टाइल, केसेस पर पकड़ पर ध्यान रखती है.
जजमेंट के मूल्यांकन के लिए भाषा पर अधिकार एक महत्वपूर्ण मानदंड है
तथ्यों और मुद्दों की व्यवस्थित प्रस्तुति,
निष्कर्ष के लिए तर्क और युक्तिसंगतता का मूल्यांकन,
सबूतों की सही समझ और उनकी सराहना पर ध्यान दिया जाएगा,
प्रक्रियात्मक और सारभूत कानून के ज्ञान और पूर्व न्यायिक निर्णयों के संदर्भ में कानून के प्रयोग का मूल्यांकन शामिल है.
हाई कोर्ट जज की नियुक्ति में इन बिंदुओं पर ध्यान रखती है.