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'न्यायपालिका पर लोगों का विश्वास बढ़ाने का प्रयास किया', विदाई समारोह में जस्टिस मनमोहन ने दिल्ली हाईकोर्ट में बिताए पल को याद कर हुए भावुक

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मनमोहन ने अपने विदाई समारोह में बताया कि वे अपने परिवार में कानूनी पेशे में आने वाले पहले व्यक्ति हैं और दिल्ली हाईकोर्ट उनके लिए घर रहा है, जहां उन्हें उद्देश्य और अपनापन मिला और जब वे सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे, तो यह उनके जीवन में हमेशा एक विशेष स्थान रखेगा.

जस्टिस मनमोहन अब सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर आज शपथ लेंगे

Written by Satyam Kumar |Published : December 5, 2024 12:21 AM IST

दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस मनमोहन ने अपने विदाई समारोह में हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपने 16 साल के सफर पर विचार करते हुए इसे चुनौतीपूर्ण और दिलचस्प बताया. सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर मनोनीत जस्टिस मनमोहन ने कोर्टरूम उपस्थित साथियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे अपने परिवार में कानूनी पेशे में आने वाले पहले व्यक्ति हैं और दिल्ली हाईकोर्ट उनके लिए घर रहा है, जहां उन्हें उद्देश्य और अपनापन मिला और जब वे सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे, तो यह उनके जीवन में हमेशा एक विशेष स्थान रखेगा. बता दें कि पूर्व चीफ जस्टिस मनमोहन ने दिल्ली हाईकोर्ट में 1600 से दिन अधिक जज के तौर पर अपनी सेवा दी है.

आज सुप्रीम कोर्ट जज के पद की शपथ लेंगे

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट जज के तौर नियुक्त करने की सिफारिश की थी, जिस पर केन्द्र ने अपनी मुहर लगा दी है. बता दें कि मौजूदा जानकारी के अनुसार जस्टिस मनमोहन गुरूवार के दिन यानि आज सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर शपथ लेंगे.

लोगों का विश्वास न्यायपालिका में बढ़ाने को तत्पर रहा

चीफ जस्टिस मनमोहन ने अपने विदाई भाषण में कहा कि न्याय का मतलब सिर्फ फैसला सुनाना नहीं है, बल्कि प्रत्येक मामले से जुड़े मानवीय पहलुओं, सहानुभूति और करुणा को समझना है.

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उन्होंने कहा,

“न्याय एक निरंतर प्रयास रहा है और आगे भी रहेगा तथा न्यायाधीश के रूप में कार्य करते हुए मैंने हमेशा यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि न्यायिक प्रणाली में जनता का विश्वास बढ़े.”

इस दौरान जस्टिस मनमोहन सिंह ने बुधवार के इस पद को छोड़ने के दौरान प्रख्यात लेखक गुलजार की लिखी पंक्तियों ‘‘आने वाला पल जानेवाला है...’’ भी गुनगुनाया. वह अब सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर अपनी नयी यात्रा शुरू करेंगे. शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष है, जबकि हाईकोर्ट के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु सेवानिवृत्त हो जाते हैं. बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस मनमोहन की उम्र 61 वर्ष है.

जस्टिस मनमोहन को 13 मार्च, 2008 को दिल्ली हाईकोर्ट जज के तौर पर नियुक्त किया गए और वह 29 सितंबर, 2024 को इसके चीफ जस्टिस मनोनीत किए गए थे. इससे पहले उन्हें 9नवंबर, 2023 के दिन दिल्ली हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस बनाया गया था.

दिल्ली हाईकोर्ट में 'जज' के तौर पर सबसे ज्यादा समय

विदाई समारोह के दौरान वकीलों, पूर्व न्यायाधीशों, उनके अपने परिवार के सदस्यों से कोर्ट रूम भरा हुआ था. मौजूदा सदस्यों की भीड़ देखकर जस्टिस मनमोहन भी भावुक हुए. इसी बीच अतिरिक्त महाधिवक्ता (Additional Advocate General) चेतन शर्मा ने मजाक में कहा कि “दिल्ली का यह लड़का” 6,142 दिनों के कार्यकाल के साथ उच्च न्यायालयों में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाला न्यायाधीश है.

(खबर भाषा के आधार पर लिखी गई है)