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क्या भारत में Death Penalty संवैधानिक है? जानें CJI DY Chandrachud के पूछने पर AI वकील ने क्या दी प्रतिक्रिया

डीवाई चंद्रचूड़ ने एआई को लेकर कई मौकों पर तारीफ की है और उसके बढ़ावे को प्रोत्साहित किया है.

AI वकील से CJI ने किया सवाल

Written by Satyam Kumar |Published : November 8, 2024 7:53 PM IST

आखिरी कार्यदिवस के पहले सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने सुप्रीम कोर्ट परिसर में नेशनल ज्यूडिशियल म्यूजियम एंड आर्काइव संग्रहालय का उद्घाटन किया है. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न जज भी मौजूद रहे. इस म्यूजियम में सुप्रीम कोर्ट  के आजादी से पहले से लेकर के अब तक के सफर को दिखाया गया है.

AI वकील का जवाब सुनकर CJI हैरान

डीवाई चंद्रचूड़ ने एआई को लेकर कई मौकों पर तारीफ की है और उसके बढ़ावे को प्रोत्साहित किया है. इस मौके पर सीजेआई ने कहा कि न्यायपालिका इसके प्रयोग को बढ़ावा दे सकती है. म्यूजियम के उद्घाटन के बाद चीफ जस्टिस ने आर्टिफिशियल इंटलिजेंस का भी इस्तेमाल किया. उन्होंने म्यूजियम में मौजूद AI वकील से पूछा कि क्या भारत में मृत्युदंड संवैधानिक है? AI वकील ने जवाब देते हुए कहा कि हां, भारत में मृत्युदंड संवैधानिक है, लेकिन यह केवल दुर्लभतम मामलों ( rarest of rare ) केस में दिया जाता है. इस rarest of rare की कैटेगरी को भी सुप्रीम कोर्ट ने तय किया हुआ है. चीफ जस्टिस भी AI वकील के इस जवाब से संतुष्ट नजर आए.

न्यायिक व्यवस्थाओं के सुधार में निभाई अग्रणी भूमिका

प्रधान न्यायाधीश ने महत्वपूर्ण प्रशासनिक सुधारों में अग्रणी भूमिका निभाई, जिनमें अदालती रिकॉर्ड का डिजिटाइजेशन भी शामिल है. 2018 में अदालती कार्यवाही की ‘वेब-कास्टिंग’ और महत्वपूर्ण मामलों की ‘लाइव-स्ट्रीमिंग’ (सीधा प्रसारण) का आदेश देते हुए उन्होंने कहा था, ‘‘सूर्य का प्रकाश सबसे अच्छा कीटाणुनाशक है.’’ कोविड-19 महामारी का प्रसार होने के बाद, उन्होंने देश भर की सभी अदालतों और अधिकरणों में कार्यवाही की ‘लाइव-स्ट्रीमिंग’ सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए.

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 जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ देश के 50वें CJI

दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज एवं दिल्ली विश्ववविद्यालय (डीयू) के कैंपस लॉ सेंटर से पढ़ाई करने वाले तथा फिर हार्वर्ड लॉ स्कूल से एलएलएम और डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाले डी वाई चंद्रचूड़ 9 नवंबर 2022 को देश के 50वें प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किये गए थे. उनके द्वारा लिखे गए फैसलों की फेहरिस्त लंबी है और इसमें कानून के लगभग सभी पहलू शामिल हैं. उनके द्वारा सुनाये गए फैसलों में व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा और न्याय प्रदान करने के लिए न्यायपालिका की प्रतिबद्धता स्थापित करना, निजता को शामिल करने के लिए मौलिक अधिकारों के दायरे का विस्तार करना और चुनावी बॉण्ड योजना को अमान्य करना शामिल है.

अयोध्या मामले सहित कई ऐतिहासिक फैसले

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा सुनाये गए उस ऐतिहासिक फैसले का हिस्सा थे, जिसने ‘पैसिव यूथेंसिया’ के लिए, असाध्य रोगों से पीड़ित मरीज द्वारा तैयार किये गए ‘लिविंग विल’ को मान्यता दी. ‘लिविंग विल’ एक लिखित बयान होता है, जिसमें भविष्य में ऐसी परिस्थितियों में रोगी की चिकित्सा के संबंध में इच्छाओं का उल्लेख रहता है, जब वह सहमति व्यक्त करने में सक्षम न हो.

चंद्रचूड़ कई संविधान पीठों का हिस्सा रहे और उन्होंने अयोध्या भूमि विवाद सहित कई ऐतिहासिक फैसले लिखे हैं. उन्होंने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में, 2019 में आया सर्वसम्मति वाला फैसला लिखा था. इस फैसले ने एक सदी से भी अधिक पुराने विवादास्पद मुद्दे को सुलझा दिया और भव्य राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया. हालांकि, उस समय न्यायमूर्ति रंजन गोगोई प्रधान न्यायाधीश थे और पांच न्यायाधीशों की पीठ की अध्यक्षता कर रहे थे.

(खबर PTI इनपुट से लिखी गई है)