सोमवार यानि की आज मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील के लहजे पर कड़ी नाराजगी जताई और पूछा कि यह ‘या-या’ क्या है? उन्होंने कहा कि यह कोई कॉफी शॉप नहीं है और उन्हें ऐसे शब्दों से बहुत एलर्जी है (CJI to advocte on Responding with Yeah-Yeah instead of Yes).
यह वाक्या सुप्रीम कोर्ट में तब हुआ जब पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई (Former Chief Justice Ranjan Gogoi) को एक जनहित याचिका में पक्षकार बनाए जाने और सेवा विवाद से संबंधित याचिका को खारिज करने संबंधी मामले में उनके खिलाफ आंतरिक जांच की मांग किए जाने से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही थी. बहस के शुरुआत में ही मुख्य न्याायाधीश (CJI) ने उस समय नाराजगी जताई जब वादी ने पीठ के कुछ सवालों के जवाब में ‘यस’ के बजाय ‘या-या’ कहा.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा,
"यह ‘या-या’ क्या है? ये कोई कॉफी शॉप नहीं है। मुझे इस ‘या-या’ से बहुत एलर्जी है, इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती."
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने पुणे में रहने वाले वादी से कहा कि आप किसी न्यायाधीश को प्रतिवादी बनाकर जनहित याचिका कैसे दायर कर सकते हैं? कुछ तो गरिमा होनी चाहिए. आप यह नहीं कह सकते कि मैं एक न्यायाधीश के खिलाफ आंतरिक जांच चाहता हूं, बस. जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रहे हैं.’’
पीठ ने कहा, ‘‘वह (गोगोई) भारत के प्रधान न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुए. क्योंकि आप पीठ के समक्ष सफल नहीं हुए, इसलिए आप यह नहीं कह सकते कि मैं किसी न्यायाधीश के खिलाफ आंतरिक जांच चाहता हूं. क्षमा करें, हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते.’’
सीजेआई ने याचिकाकर्ता को आंतरिक जांच की मांग से आपत्ति जताई.
याचिकाकर्ता ने श्रम कानूनों के तहत उसकी सेवा समाप्त किए जाने से संबंधित उसकी याचिका को न्यायमूर्ति गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ द्वारा खारिज किए जाने के बाद एक जनहित याचिका दायर की थी. न्यायमूर्ति गोगोई सेवानिवृत्त हो चुके हैं. वादी ने कहा कि यह अवैध रूप से सेवा समाप्त किए जाने का मामला है. प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि याचिका और पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद आप सेवा मामले में जनहित याचिका कैसे दायर कर सकते हैं, आपको सुधारात्मक याचिका (Curative Plea) दायर करनी चाहिए थी.
उन्होंने वादी को कानूनी मुद्दों और प्रक्रियात्मक आपत्तियों को समझाने के लिए मराठी भाषा में भी बात की और उससे शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री के समक्ष यह बयान देने के लिए कहा कि वह पूर्व प्रधान न्यायाधीश का नाम पक्षकारों की सूची से हटा देगा. प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘....क्या आप न्यायमूर्ति गोगोई का नाम हटाएंगे? क्या आप यह लिखित में देंगे. आप पहले इसे हटाएं और फिर हम देखेंगे.’’ सीजेआई ने अपनी रजिस्ट्री को आदेश दिया कि वे याचिका को दोबारा से याचिका की जांच करें.