सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक मामले में वकील द्वारा कार में बैठकर कोर्ट को संबोधित करने पर आपत्ति जताई. जस्टिस अभय ओक और जस्टिस उज्जल भुयान की खंडपीठ ने अदालत की गरिमा का ख्याल रखने की हिदायत देते हुए, वकील से, इसे दोबारा से ना दोहराने के निर्देश दिए हैं. अदालत ने कहा कि वकीलों को हमेशा पेशे की गरिमा बनाए रखनी चाहिए. यह मामला सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (CESTAT) के एक फैसले के खिलाफ दायर की गई अपील से संबंधित है, जिसमें विभाग ने अपीलकर्ता से 15.51 करोड़ रुपये के सेवा कर की मांग की गई है. मामले में अपीलकर्ता की ओर से एडवोकेट जेके मित्तल पेश हो रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एस ओक ने एडवोकेट जेके मित्तल को फटकारते हुए कहा कि आप सुप्रीम कोर्ट क्या.. किसी भी अदालत के सामने, अपनी कार में बैठकर पेश नहीं हो सकते हैं. कार्यवाही के दौरान अदालत ने वकील से कहा कि भले ही पेशी के लिए हाइब्रिड मोड की सुविधा दी गई है, लेकिन अदालत के सामने मौजूद रहने से पहले अदालत की गरिमा का भी ख्याल होना चाहिए, कि आप कहां से और किस तरह से अदालत के सामने आ रहे हैं.आपके व्यवहार से पेशे की गरिमा झलकनी चाहिए.
एडवोकेट जेके मित्तल ने अदालत को बताया कि उन्होंने तुरंत ही कलकत्ता हाई कोर्ट में एक मामले की सुनवाई पूरी में शामिल हुए थे और इस कार्यवाही में सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी उपस्थिति रहना चाहते थे.
मामले की सुनवाई पर आते हुए जस्टिस अभय एस ओक ने एडवोकेट मित्तल से पूछा कि दूसरे पार्टी के वकील अस्वस्थ है, और आपकी ओर से अदालत के समक्ष मौजूद वकील ने मामले को टालने से आपत्ति जताई है. क्या यह उचित है?
जेके मित्तल ने इस व्यवहार के लिए अदालत से माफी मांगी.
इस पर आगे जस्टिस अभय एस. ओका ने कहा कि प्रतिवादी का वकील बीमार है, तो आपके वकील ने मामले के स्थगण का विरोध किया है, क्या बार के सदस्य के एक-दूसरे के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं. अदालत ने दूसरे पक्ष के वकील की खराब तबीयत को ध्यान में रखते हुए मामले को 3 जुलाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है.