नई दिल्ली: हमारे देश के कानून के अनुसार आपराधिक कानून में न केवल अपराध करने वाला व्यक्ति दोषी है बल्कि अपराध को पूरा करने की साजिश रचने वाला या अपराधी की मदद करने वाला व्यक्ति भी दोषी है.
IPC की धारा 201, इससे संबंधित है और ऐसे कृत्यों के लिए सज़ा का प्रावधान बनाती है. इस धारा के तहत यदि आप अपने दोस्त, रिश्तेदार या परिवार के सदस्य जिसने किसी अपराध को अंजाम देता है और आप उसे सज़ा से बचाने के लिए सबूत को नष्ट करते हैं या झूठी सूचना देते हैं तो आपके खिलाफ भी कार्यवाही हो सकती है और सख्त सज़ा दी जा सकती है.
IPC की धारा 201 के मुताबिक, अपराध के साक्ष्य को गायब करना या आरोपी को बचाने के लिए झूठ बोलने को अपराध की श्रेणी में रखा गया है. यह धारा उन परिस्थितियों से संबंधित है, जहां कोई व्यक्ति यह जानते हुए कि आरोपी द्वारा अपराध को अंजाम दिया है लेकिन वह व्यक्ति अपराधी को कानूनी सजा से बचाने के इरादे से साक्ष्य (Evidence) को गायब कर देता है या आरोपी को बचाने के लिए गलत सूचना देता है.
जितेंद्र नाथ बनाम राम फल बंसल और अन्य के मामले में, यह कहा गया था कि धारा 201 का आरोप साबित करने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि व्यक्ति ने अपने व्यक्तिगत हित के लिए साक्ष्य गायब किया हो या झूठी सूचना दी हो, बल्कि यह साबित करना है कि व्यक्ति ने अपराधी को सज़ा से बचाने के लिए ऐसा किया.
1. अपराध का होना अनिवार्य है। यदि यह साबित नहीं किया गया है कि आरोपी द्वारा अपराध को अंजाम दिया गया है तो जो व्यक्ति उस अपराध से जुड़े साक्ष्य गायब करता है या गलत सूचना देता है तो ऐसे व्यक्ति को धारा 201 के तहत सज़ा नहीं दी जा सकती है.
2. व्यक्ति को यह पता होना चाहिए कि अपराध हुआ है.
3. अपराधी को बचाने के उद्देश्य से व्यक्ति ने साक्ष्य गायब किए हैं या झूठी सूचना दी है.
आरोपी जिसे बचाने की कोशिश की जा रही है, उसके द्वारा अंजाम दिए गए अपराध को ध्यान में रखते हुए धारा 201 के तहत दी जाने वाली सज़ा को 3 भाग में बांटा गया है।
जो अपराध कारित हुआ है उस अपराध में अगर अपराधी के लिए मृत्यु की सजा का प्रावधान है. इस स्तिथि में जो व्यक्ति आरोपी को बचाने के लिए साक्ष्य गायब करता है या झूठी सूचना देता है तो उसे सात वर्ष के कारावास के साथ-साथ जुर्माने की सज़ा हो सकती है.
इस मामले में जब किसी व्यक्ति द्वारा ऐसा अपराध किया जाता है जिसमें आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है. और इस स्तिथि में जो व्यक्ति आरोपी को बचाने के लिए साक्ष्य गायब करता है या झूठी सूचना देता है तो उसे तीन वर्ष के कारावास के साथ-साथ जुर्माने की सज़ा हो सकती है.
किसी अपराध के लिए 10 वर्ष से कम की सजा का प्रावधान है और ऐसे अपराध करने की स्तिथि में जो व्यक्ति आरोपी को बचाने के लिए साक्ष्य गायब करता है या झूठी सूचना देता है तो उसे अपराध के लिए उपबंधित कारावास की अवधि की एक-चौथाई अवधि के कारावास या जुर्माने या दोनों की सज़ा हो सकती है.
यह एक जमानती और असंज्ञेय अपराध है जिसमें अपराधी को बिना वारंट (Warrant) के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है और इस अपराध में समझौता नहीं किया जा सकता है.
हमारे देश में अपराध करने वाले व्यक्ति के साथ-साथ, अपराधी की मदद करने वाले अथवा सहायता करने वाले व्यक्ति को भी कार्यवाही और सख्त सज़ा का सामना करना पड़ सकता है.