इनकम टैक्स बिल 2025 का ड्रॉफ्ट सामने आ चुका है. अब इसे संसद में पेश किया जाना है, कल पेश किए जाने के आसार है. इनकम टैक्स बिल के ड्रॉफ्ट के अनुसार, 622 पन्नों के इस बिल में कुछ 536 सेक्शन है और 16 अनुसूचियां भी है. ये धाराएं और अनुसूचियां विभिन्न क्षेत्रों से होनेवाली आय और उस पर लगनेवाली टैक्स की जानकारी देगी. नए इनकम टैक्स विधेयक का उद्देश्य टैक्स कानून की भाषा सिंपल करने की होगी और इनकम टैक्स भरने व सरकार द्वारा डायरेक्ट टैक्स काटने की प्रक्रिया को आसान व लोगों को समझ में आ जाए, ऐसा बनाना होगा. साथ ही इसे इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की जगह पर लाया जा रहा है. इसमें 823 पन्ने, 298 सेक्शन और 14 अनुसूचियां थी.
नए आयकर विधेयक में 'कर वर्ष' (Tax Year) कॉन्सेप्ट लाया जा रहा है, जो वर्तमान असेसमेंट इयर (या पिछले वर्ष) की अवधारणा को बदल देगा. यह बारह महीने का होगा यानि एक अप्रैल से लेकर अगले साल मार्च महीने तक. वित्तीय वर्ष (Financial Year) 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च को समाप्त होगा. यदि कोई बिजनेस या पेशा नए सिरे से स्थापित किया गया है या किसी वित्तीय वर्ष में इनकम का कोई नया सोर्स बनता है, तो टैक्स इयर की अवधि उस व्यवसाय या पेशे की स्थापना की तारीख से शुरू होगी और वित्त वर्ष की मार्च तक समाप्त होगी. यानि इनकम टैक्स का कैलकुलेशन उस दिन के वित्तीय वर्ष के आखिर में हो जाएगा.
असेसमेंट ईयर की जगह अब टैक्स ईयर का प्रावधान आ गया है. आयकर अधिनियम, 1961 में किए गए परिवर्तनों से अब 'कर वर्ष' (Tax Year) की अवधारणा लागू होगी, जबकि 'असेसमेंट ईयर' (Assesment Year) की अवधारणा को समाप्त कर दिया गया है. पहले, पिछले वर्ष (2024-25) में अर्जित आय के लिए कर अगले वित्तीय वर्ष (2025-26) शुरू होने पर चुकाया जाता था, लेकिन नए बिल के तहत केवल टैक्स ईयर की अवधारणा लागू होगी. टैक्स ईयर के लागू होने से प्रिवियस और असेसमेंट ईयर दोनों समाप्त हो जाएगा.
नए इनकम टैक्स विधेयक में डिजिटल करेंसी को शामिल किया गया है. डिजिटल करेंसी की दुनिया अभी भी रेगुलेशन से दूर है. सरकार को इन क्रिप्टो करेंसी व अन्य डिजिटल करेंसी से हुई आय पर भी टैक्स लगाती है.
'करदाता का चार्टर' विधेयक में शामिल किया गया है, जो करदाताओं के अधिकारों और दायित्वों को स्पष्ट करता है. इसमें वे सभी धाराएं एकत्रित की गई हैं जो TDS, अनुमानित कराधान, वेतन और बकाया ऋण के लिए कटौती से संबंधित हैं.