बीते दिन सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सेना के अधिकारी को सेवा से मुक्त नहीं करने का निर्देश दिया है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि वर्तमान संघर्ष के समय सेना अधिकारियों का मनोबल उच्च स्तर पर बना रहना चाहिए. इसलिए केन्द्र सरकार से को उन्हें मुकदमेबाजी में उलझने के बजाय अपनी जिम्मेदारियों पर ध्यान लगाना चाहिए. आगे सुप्रीम कोर्ट ने 6 और 7 अगस्त को इस मामले की सुनवाई करने का फैसला किया है और तब तक सेना के अधिकारियों को सेवा से मुक्त नहीं करने का निर्देश दिया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका लेफ्टिनेंट कर्नल गीता शर्मा (Lt. Col. Geeta Sharma) ने अपनी सेवा से पूर्व निर्धारित तिथि से पहले ही मुक्त किए जाने के खिलाफ दायर की थी. उनकी सेवामुक्ति की तारीख 9 जून थी, लेकिन उन्हें 17 मार्च को ही सेवा से मुक्त कर दिया गया था. इस याचिका के माध्यम से, उन्होंने अपनी सेवा समाप्ति पर रोक लगाने की मांग की.
जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि संघर्ष के समय में सेना अधिकारियों का मनोबल ऊंचा रखना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि अगली सुनवाई तक सेना अधिकारियों को किसी भी प्रकार की कानूनी लड़ाई से परेशान नहीं किया जाना चाहिए. उनका ध्यान देश की वर्तमान स्थिति पर होना चाहिए.
सीनियर एडवोकेट मेनका गुरुस्वामी, जो शर्मा के पक्ष में पेश हुईं, ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने पहले एक समान याचिका को स्वीकार किया था. उन्होंने उदाहरण दिया कि कर्नल सोफिया कुरेशी, जो पाकिस्तान के साथ चल रहे संघर्ष के बारे में भारतीय बलों की जानकारी देने के लिए ब्रिफिंग कर रही थीं, को भी न्यायालय ने सराहा था.
सुनवाई के दौरान, जस्टिस सूर्यकांत ने भारतीय सेना के योगदान की सराहना करते हुए कहा, "हम सभी उनके सामने बहुत छोटे महसूस करते हैं. यह वह समय है जब हम सभी को उनके साथ खड़ा होना चाहिए. अदालत ने सेना के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त कर उनके अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की. जस्टिस सूर्यकांत ने सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि आज की तारीख में, हम उनके मनोबल को ऊंचा रखना चाहते हैं. हर एक अधिकारी योग्य है. सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि वह मामले को बाद में विस्तार से सुनने का इरादा रखता है.
हालांकि, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) भाटी, जो केंद्र के लिए पेश हुए, ने याचिका का विरोध किया और तर्क दिया कि ऐसी याचिकाओं को स्वीकार करने से सरकार के लिए प्रणालीगत कठिनाई उत्पन्न होगी, लेकिन न्यायालय ने कहा कि अभी के लिए, ऐसे अधिकारियों को सेवा से मुक्त नहीं किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले की सुनवाई 6 और 7 अगस्त को लगातार सुबह 11 बजे से की जाएगी. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि पहले बैच में सेना के मामलों की सुनवाई होगी, इसके बाद नौसेना, वायु सेना और तट रक्षक के मामलों की सुनवाई होगी.