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प्राइवेट हॉस्पीटल में मरीजों से इलाज के नाम पर मनमाना कीमत वसूलने का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को नीति बनाने का निर्देश दिया

इस मामले में कैंसर पीड़ित रह चुकी एक महिला के पुत्र ने सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गय कि निजी अस्पताल मरीजो को अस्पताल में मौजूद फार्मेसी से ही ऊंची क़ीमत पर दवा लेने को मज़बूर करते है.

प्राइवेट अस्पाल, सुप्रीम कोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : March 19, 2025 2:17 PM IST

सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन के लिए नंबर आने में कम-से-कम तीन महीने की लंबी डेट मिले, जिसकी वजह से प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए जाना पड़े तो आम आदमी का चेहरा उनकी मनोदशा स्वयं ही कह देती है. प्राइवेट अस्पताल में पग-पग पर मोटा बिल और दवाओं की लंबी सूची आदमी का दिल तो बैठा ही देती है, लेकिन अपनों के लिए ही तो लोग सभी जतन करते हैं. ठीक इसी तर्ज पर एक मामला सुप्रीम कोर्ट में आया, जिसमें मरीज को प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए जाना पड़ा था, और उसे फीस बहुत मंहगी लगी, लगना क्या था उसे देना पड़ा. लेकिन उसने सुप्रीम कोर्ट याचिका दायर कर प्राइवेट अस्पतालों द्वारा इलाज के नाम मनमाना पैसा वसूलने को लेकर नीति बनाने की मांग की.

इलाज के नाम पर मनमाना पैसा

आज सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वो निजी अस्पतालों में इलाज के नाम पर होने वाले मरीजो के शोषण को रोकने के लिए पॉलिसी बनाए. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य से कहा कि वो ऐसी पॉलिसी बनाए जिसके चलते मरीजो और उनके तीमारदारों से गैरवाजिब पैसे न वसूले जाए. कैंसर पीड़ित रह चुकी एक महिला के पुत्र ने सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि निजी अस्पताल मरीजो को अस्पताल में मौजूद फार्मेसी से ही ऊंची क़ीमत पर दवा लेने को मज़बूर करते है. उनकी माँ अब कैंसर से ठीक चुकी है, लेकिन उन्हें ऊंची क़ीमत पर दवाई खरीदनी पड़ी. याचिकाकर्ता का कहना था कि चूंकि इस प्रैक्टिश को रोकने के लिए कोई नियम नहीं है. लिहाजा निजी अस्पताल मनमानी कर रहे है, ऐसी सूरत में कोर्ट को दखल देना चाहिए.

राज्य सरकार बनाएं नीति

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि अगर कोर्ट अपनी ओर से इस मामले में दिशानिर्देश जारी करता है तो ये निजी सेक्टर में हॉस्पिटल की बढ़ोतरी के खिलाफ होगा. सरकार इस बारे में बेहतर फैसला ले सकती है. सरकार ऐसी संतुलित नीति बना सकती है ताकि अस्पतालों के काम काज पर बेवजह प्रतिबंध भी न लगे, हेल्थ सेक्टर में निजी संस्थाओं की एंट्री हतोत्साहित न हो , वहीं दूसरी ओर मरीजो के हितों की भी रक्षा हो सके और अस्पताल उनसे मनमामी क़ीमत न वसूल सके.

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