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कमला नेहरू ट्रस्ट का 125 एकड़ जमीन का आवंटन रद्द करना सही, 15 साल पुराने विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि औद्योगिक भूमि का आवंटन उचित प्रक्रिया और निष्पक्षता के आधार पर जनहित में होना चाहिए. वहीं, कमला नेहरू ट्रस्ट (KNMT) को जमीन आवंटित करने में जल्दबाजी और तय मानदंडों की अनदेखी की गई है.

सुप्रीम कोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : May 31, 2025 1:55 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआईडीसी) के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसके तहत राज्य में कमला नेहरू मेमोरियल ट्रस्ट (KNMT) को दी गई 125 एकड़ भूमि का आवंटन रद्द कर दिया गया था. शीर्ष अदालत ने कहा कि औद्योगिक भूमि आवंटन का प्रबंधन उचित प्रक्रिया एवं निष्पक्षता के आधार पर तथा जनहित के अनुरूप किया जाना चाहिए.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने 1975 में शुरू की गई एक परमार्थ संस्था केएनएमटी की अपील खारिज कर दी. यह अपील इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2017 के आदेश के खिलाफ थी, जिसमें राज्य के सुल्तानपुर जिले में जगदीशपुर के उतेलवा औद्योगिक क्षेत्र में स्थित भूमि का आवंटन रद्द कर दिया गया था.

शीर्ष अदालत ने यूपीएसआईडीसी द्वारा वर्ष 2003 में ट्रस्ट को फूलों की खेती के उद्देश्य से भूमि के बड़े हिस्से का जल्दबाजी में आवंटन करने तथा मुकदमा शुरू होने के बाद जगदीशपुर पेपर मिल्स लिमिटेड को वैकल्पिक आवंटन पर विचार करने में निगम द्वारा दिखाई गई ‘उल्लेखनीय तत्परता’ की भी आलोचना की.

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पीठ ने कहा,

‘‘पक्षकारों की दलीलों की हमारी विस्तृत जांच, तथ्यात्मक और कानूनी मैट्रिक्स के व्यापक विश्लेषण तथा परिणामी निष्कर्षों के आलोक में, हम यूपीएसआईडीसी द्वारा आवंटन को रद्द करने के फैसले को बरकरार रखते हैं.’’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपीएसआईडीसी द्वारा जगदीशपुर पेपर मिल्स लिमिटेड के पक्ष में उक्त भूमि के लिए किया गया वास्तविक आवंटन या उसका कोई प्रस्ताव  अवैध, सार्वजनिक नीति के विपरीत घोषित कर उसे रद्द किया जाता है. पीठ ने कहा कि यदि उक्त संभावित आवंटी से कोई बयाना राशि या भुगतान प्राप्त हुआ है, तो उसे राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा दी गई दर पर ब्याज सहित वापस करने का निर्देश दिया जाता है.

शीर्ष अदालत ने कहा कि केएनएमटी द्वारा शुरू किया गया लंबा मुकदमा 15 वर्षों से अधिक समय तक चला है, जिससे न्यायिक प्रणाली पर अनावश्यक रूप से बोझ पड़ा है और सार्वजनिक प्राधिकरणों के कुशल कामकाज में बाधा उत्पन्न हुई है. साथ ही इस तरह के लंबे विवाद पुरानी चूक को रोकने के लिए अधिक कठोर प्रारंभिक मूल्यांकन प्रक्रियाओं की आवश्यकता को उजागर करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह आवश्यक है कि औद्योगिक भूमि आवंटन की प्रक्रिया प्रशासनिक औचित्य के मानकों को पूरा करे, विशेष रूप से सार्वजनिक ट्रस्ट सिद्धांत के आलोक में, जो यह अनिवार्य करता है कि सार्वजनिक संसाधनों का प्रबंधन उचित परिश्रम, निष्पक्षता और सार्वजनिक हित के अनुरूप किया जाए.

(खबर पीटीआई इनपुट से है)