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AI और Deepfake के खिलाफ सख्त नियम बनाने की मांग याचिका पर Supreme Court आज करेगी सुनवाई

AI और Deepfake को रेगुलेट करने से जुड़ी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एआई जेनरेटेड या डीपफेक कंटेंट की पहचान करने और उसे हटाने के लिए नियम बनाने के निर्देश देने की मांग की गई है.

Supreme Court

Written by Satyam Kumar |Updated : May 16, 2025 10:51 AM IST

एआई और डीपफेक मामले को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज (शुक्रवार) सुनवाई करेगा. एआई और डीपफेक के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए सख्त नियम बनाए जाने की मांग के साथ याचिका दाखिल की गई है. इसमें यह भी कहा गया कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एआई जेनरेटेड या डीपफेक कंटेंट की पहचान करने और उसे हटाने के लिए नियम बनाए जाएं. इसमें केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को पक्षकार बनाया गया है.

हाल की घटनाओं को देखें तो डीपफेक की समस्या वैश्विक और गंभीर बनती जा रही है. तकनीक के जरिए किसी तस्वीर या वीडियो में किसी व्यक्ति की जगह अन्य व्यक्ति की तस्वीर लगा दी जाती है. इससे किसी को भी गुमराह किया जा सकता है और गलत सूचना फैलाई जा सकती है. डीपफेक वीडियो एक बार पोस्ट हो जाए तो शिकायत की जा सकती है. इस पर 72 घंटे में कार्रवाई भी होती है, लेकिन नुकसान यह है कि तब तक वीडियो सोशल मीडिया पर कई बार शेयर हो चुका होता है.

देश की तमाम हस्तियां डीपफेक का शिकार हो चुकी हैं. अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का एक डीपफेक वीडियो वायरल हुआ था, जिसे लेकर एक शख्स की गिरफ्तारी भी हुई थी. इसके बाद मंदाना का एक और डीपफेक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें वह लाल रंग की बिकनी पहने किसी झरने के नीचे खड़ी दिखी थीं. डीपफेक का शिकार होने वाली हस्तियों की लिस्ट में रश्मिका मंदाना अकेले नहीं हैं. अभिनेत्री आलिया भट्ट, प्रियंका चोपड़ा, नोरा फतेही, भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली, सचिन तेंदुलकर, टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन दिवंगत रतन टाटा, इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति का भी फेक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.

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अभिनेत्री और भाजपा से मथुरा की सांसद हेमा मालिनी ने हाल ही में डीपफेक पर चिंता जाहिर करते हुए इसका मुद्दा लोकसभा में उठाया था. उन्होंने कहा कि एक्टर्स ने वर्षों की मेहनत से अपनी पहचान बनाई, लेकिन डीपफेक के जरिए फर्जी वीडियो बनाकर उनकी छवि को धूमिल किया जा रहा है. ये वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैलते हैं और पीड़ितों के मन पर गहरा असर डालते हैं.