सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना के गाचीबोवली में करीब 1000 पेड़ काटने के मामले की सुनवाई की. सीजेआई बीआर गवई ने तेलंगाना सरकार की कार्रवाई को सुनियोजित तरीके से किया गया कहा. सीजेआई ने कहा कि अगर पूर्ववत स्थिति को बहाल को नहीं किया जाता है तो वे तेलंगाना के मुख्य सचिव सहित एक दर्जन अधिकारियों को जेल भेजने से भी गुरेज नहीं करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गाचीबोवली की पारिस्थितिकी को बचाना, अदालत प्रथम उद्देश्य है. उन्होंने राज्य के वाइल्ड लाइफ वार्डेन को प्रभावित वन्यजीवों की सुरक्षा करने के आदेश दिए हैं.
सीजेआई बीआर गवई और एजी मसीह की खंडपीठ ने कहा कि वीक-ऑफ पर राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा उस क्षेत्र में बुलडोजर चलाना, एक तरह से सुनियोजित कार्रवाई (Pre planned Action) प्रतीत होता है. सुप्रीम कोर्ट ने अदालत के फैसले की अनदेखी करने को लेकर अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की भी चेतावनी दी है.
तेलंगाना सरकार की ओर सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए. उन्होंने सीईसी की रिपोर्ट पढ़ने के लिए अदालत से थोड़ा और समय देने का अनुरोध किया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बीते शाम ही उन्हें CEC की रिपोर्ट दी गई है, इसलिए वह इसे पूरा नहीं पढ़ पाए हैं. इस दौरान उन्होंने अदालत को बताया कि संबंधित क्षेत्र में किसी तरह की कार्रवाई पर रोक लगा दी गई है.
एमिकस क्यूरी के परमेश्वरन भी सुनवाई के दौरान के मौजूद रहे. उन्होंने बताया कि सीईसी की रिपोर्ट के मुताबिक 60% सघन क्षेत्रों से पेड़ो की कटाई गई है.
अदालत को सूचित किया गया कि अधिकारियों ने ये कार्रवाई लांग-वीकेंड पर शुरू की थी, इससे पूर्व सुनियोजित बताते हुए पूछा कि अधिकारियों ने इस कार्रवाई को सोमवार के दिन शुरू क्यों नहीं? हम पहले ही आपसे नरमी बरत रहे हैं और उस पर से ऐसी बातें सुनने को आती है.
चीफ जस्टिस ने कहा,
"अगर आप चाहते हैं कि मुख्य सचिव और आधा दर्जन अधिकारी अस्थायी जेल में जाएं, तो हम ऐसा कर सकते हैं. हम हमेशा सतत विकास के समर्थक रहें हैं, लेकिन यहां सवाल 1,000 पेड़ों की कटाई का है."
अदालत ने राज्य सरकार को अपना जबाव रखने के निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई 31 जुलाई तय की है.