आज सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण पर जोर देते हुए ताज ट्रेपेज़ियम क्षेत्र में अवैध कटाई के लिए प्रति पेड़ 25,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया है. पुराने कानून में जुर्माना की राशि को अपर्याप्त पाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नया जुर्माना तयकिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भले ही कई मौकों पर पेड़ो की कटाई आवश्यक हो लेकिन लोग अब भी अपने हित की पूर्ति के लिए पेड़ो की कटाई कर रहे हैं, इस पर रोक लगाने की जरूरत है.
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की खंडपीठ ने ताज ट्रेपेजियम क्षेत्र में अवैध कटाई से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि कुछ लोग अपने जीवन और संपत्ति के लिए खतरा बन जाने पर अपने निजी वृक्षों को हटाते हैं, जबकि कुछ लोग स्वार्थी हितों के लिए वृक्षों को काटते हैं. यह प्रथा न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि ऐतिहासिक स्थलों की सुरक्षा को भी खतरे में डालती है. इस समस्या को रोकने के लिए कुछ कठोर दंडात्मक उपायों की आवश्यकता है. सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के वकील मौजूद रहे, सुप्रीम कोर्ट ने उनके सबमिशन पर गौर करते हुए कहा कि 29 नवंबर, 2024 को जारी आदेश के अनुसार, उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 के कार्यान्वयन के संबंध में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि राज्य ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 142 के तहत अपनी न्यायिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए टीटीजेड क्षेत्र में अवैध पेड़ो की कटाई ने निम्नलिखित प्रावधानों के साथ जुर्माना लगाने के निर्देश दिए हैं.
यह प्रक्रिया संबंधित लोक अदालतों और जिला अदालतों द्वारा भी अवैध कटाई के मामलों का निपटारा करते समय अपनाई जा सकती है. यह सुनिश्चित करेगा कि अवैध वृक्ष कटाई के मामलों में सख्त कार्रवाई की जा सके.
सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश की एक प्रति इलाहाबाद हाई कोर्ट और राजस्थान हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को भेजने के आदेश दिया, ताकि फैसला का अनुपालन हो सके.