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जहां Civil Judge बनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, वहां इस बार मिनिमम प्रैक्टिस का नियम नहीं होगा लागू: Supreme Court

सिविल जज बनने के लिए तीन साल की मिनिमम प्रैक्टिस की प्रक्रिया को सही ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह नियम पहले राज्यों/उच्च न्यायालयों द्वारा पहले से ही अधिसूचित भर्ती प्रक्रिया पर लागू नहीं होगी.

Written by Satyam Kumar |Updated : May 20, 2025 11:43 AM IST

इस बार सिविल जज बनने का सपना देख रहे छात्रों के लिए सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बड़ी खुशखबरी लेकर आया है. सिविल जज बनने के लिए तीन साल की वकालती प्रैक्टिस की अटकलों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन-जिन जगहों पर बहाली प्रक्रिया की अधिसूचना जारी की जा चुकी है, वहां पर ये नियम इस बार से नहीं लागू होगा. सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक सेवा में प्रवेश के लिए न्यूनतम 3 साल के वकालती प्रैक्टिस की शर्त को बहाल रखा है. लेकिन यह शर्त आज के फैसले से पहले राज्यों/हाई कोर्ट द्वारा पहले से ही अधिसूचित भर्ती प्रक्रिया पर लागू नहीं होगी. यह शर्त केवल भविष्य की भर्ती प्रक्रियाओं पर लागू होगी. अदालत ने कई जगहों पर लंबित न्यायिक प्रक्रिया को दोबारा से शुरू करने के आदेश दिए हैं.

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने कहा कि नए लॉ ग्रेजुएट की सीधी भर्ती से न्यायिक प्रक्रिया में कई परेशानियां देखने को मिली है. इसलिए न्यायिक प्रक्रिया में बैठने से पहले कुछ सेवाओं को लागू करना जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने सु उच्च न्यायिक सेवाओं में पदोन्नति के लिए सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षाओं में आरक्षित 25% कोटे को बहाल किया है.

हाई कोर्ट की ओर से आए सुझाव में मिनिमम प्रैक्टिस की अनिवार्यता की पैरवी की गई है. साथ ही हम भी इससे सहमत है कि जजशिप में आने से पहले न्यूनतम प्रैक्टिस आवश्यक है. बार में रजिस्ट्रेशन के बाद से ही प्रैक्टिस की अवधि मानी जाएगी. साथ ही इस बात की पुष्टि दस साल की प्रैक्टिस करनेवाले वकील द्वारा की जाएगी. इसमें जजों के विधि लिपिक के रूप में काम करनेवाले अनुभव को मान्यता दी जाएगी.

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कोर्ट ने कहा कि प्रैक्टिस का अनुभव बार में एनरोलमेंट की तारीख से गिना जाएगा न कि AIBE परीक्षा पास करने के दिन से. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया कि जो नियुक्ति प्रक्रिया अभी जारी हैं उन पर आज का आदेश लागू नहीं होगा। सीजेआई जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि बिना अनुभव के जजों की नियुक्ति की व्यवस्था से समस्याएं आ रही थीं। केवल किताबी शिक्षा के आधार पर कोर्ट की कार्यवाही नहीं चलाई जा सकती, इसके लिए व्यवहारिक अनुभव होना ज़रूरी है.